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11 मौत के बाद सीवर सफाई के लिए मशीन की आई याद...

सीवर में सफाई के दौरान बढ़ती मौत की घटनाओं पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली जल बोर्ड के तमाम इंजीनियर और अधिकारियों के साथ मंगलवार को इमरजेंसी बैठक की. इस बैठक में सीवर की सफाई सिर्फ मशीन से करने के आदेश दिए गए हैं लेकिन सच्चाई यह है कि पूरी दिल्ली में इन मशीनों की संख्या लगभग 100 ही है.

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सीवर सफाई
सीवर सफाई

सीवर में सफाई के दौरान बढ़ती मौत की घटनाओं पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली जल बोर्ड के तमाम इंजीनियर और अधिकारियों के साथ मंगलवार को इमरजेंसी बैठक की. इस बैठक में सीवर की सफाई सिर्फ मशीन से करने के आदेश दिए गए हैं लेकिन सच्चाई यह है कि पूरी दिल्ली में इन मशीनों की संख्या लगभग 100 ही है.

'आजतक' को मिली जानकरी के मुताबिक दिल्ली जल बोर्ड में करीब 3 हजार सफाई कर्मचारी हैं लेकिन इनमें से ज्यादातर कर्मचारियों की उम्र 50 वर्ष से अधिक है. इसके अलावा सीवर सफाई के लिए जल बोर्ड ने अलग से 700 मजदूरों को भी काम पर रखा है. पूरी दिल्ली में जल बोर्ड के 116 स्टोर हैं जहां सफाई कर्मचारी के लिए सेफ्टी गैजेट मौजूद होते हैं. जल बोर्ड के सेफ्टी मैनेजमेंट विभाग को हर महीने इन सेफ्टी गैजेट्स का जांच करना जरूरी होता है.

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 ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि सीवर में जाने से पहले एक सफाई कर्मचारी को किन-किन सुरक्षा कवचों की जरुरत होती है. 'आजतक' ने जल बोर्ड के सेफ्टी डिजास्टर मैनेजमेंट टीम के साथ डेमो किया. विभाग से जुड़े पीडी मीणा ने बताया कि सीवर में जाने से पहले सफाई कर्मचारी को केमिकल प्रूफ फुल बॉडी सूट, एयर पाइप, ग्लब्स, सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट और जूते पहनाए जाते हैं. सफाई से पहले गैस मापक यंत्र की मदद से 4 तरह की जहरीली गैसों की जांच की जाती है. सीवर में गैस की मौजूदगी पर बड़े पंखों की मदद से गैस को बाहर निकालकर, सीवर में ऑक्सीजन छोड़ी जाती है. जहरीली गैसों की मात्रा की जांच के बाद ही सफाई कर्मचारियों को सीवर में उतारा जाता है.

जल बोर्ड के मुताबिक एक सफाई कर्मचारी को सीवर के अंदर 15 मिनट तक रहने की अनुमति होती है. सीवर से निकलने के बाद सफाई कर्मचारी को करीब 2 घण्टे का आराम दिया जाता है. राज नाम के सफाईकर्मी ने बताया कि वे 15 साल से सीवर साफ करने का काम कर रहे हैं. दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से समय-समय पर शारीरिक जांच भी की जाती है. सफाई कर्मचारी ने दावा किया कि शराब पीकर सीवर के अंदर नहीं जाने दिया जाता है और मौके पर मौजूद बड़े अधिकारी पूरी निगरानी रखते हैं. जल बोर्ड अधिकारियों के मुताबिक सेफ्टी किट का इस्तेमाल न करने पर पहले चेतावनी दी जाती है. इसके बावजूद सिस्टम न मानने पर शिकायत भी दर्ज होती है और मजिस्ट्रेट फाइन और सजा तय करते हैं.

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सीएम के साथ बैठक के बाद तय हुआ कि सीवर की सफाई के लिए जुड़े लोगों की लिस्ट जारी करने के अलावा उन्हें ट्रेनिंग भी दी जाएगी. साथ ही जनता को विज्ञापन के जरिए जागरुक किया जाएगा ताकि लोग सीवर की सफाई के लिए जल बोर्ड के कॉल सेंटर पर संपर्क कर सकें. दिल्ली सरकार ने ऐलान किया है कि कोई संस्था या व्यक्ति अगर स्वयं किसी मजदूर को सीवर के अंदर भेजता है तो वो उसका जिम्मेदार खुद होगा.

 

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