दिल्ली सरकार की तरफ से कई मौकों पर ये कहा गया है कि हरियाणा द्वारा उनके पानी को रोका जा रहा है. यमुना का जितना पानी दिल्ली को मिलना चाहिए, हरियाणा द्वारा उन्हें वो नहीं दिया जा रहा. इस सिलसिले में दिल्ली सरकार की तरफ से एक याचिका भी दाखिल की गई थी. अब उस याचिका के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और जोर देकर कहा कि ऐसी याचिकाएं दाखिल करने से बचें.
SC ने लगाई दिल्ली सरकार को फटकार
शुक्रवार को जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुआई वाली बेंच ने कहा की हर बार आपके पास समुचित पेयजल होता है और आप कोर्ट चले आते हैं. हम आपको चेतावनी देते हैं कि बार बार यहां आने से बाज आएं. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि इस तरह की अर्जी दाखिल करना बंद करें वरना हम आपके अर्जी दाखिल करने पर रोक लगा देंगे. कोर्ट की तरफ से दिल्ली सरकार को ये भी याद दिलाया गया कि पहले भी दो बार ऐसी ही याचिकाएं दाखिल की गई हैं और तब भी फैसला उनके खिलाफ ही रहा.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने दिल्ली सरकार को कहा कि इस संबंध में हमारे पुराने आदेश देखिए. सारे आदेश आपके खिलाफ हैं. हम आपको चेतावनी दे रहे हैं कि आप इस तरह एक के बाद एक याचिका दाखिल करना बंद करें. आप इसी तरह तीसरी बार यहां आए हैं. इस पर हरियाणा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने कहा कि इस याचिका को तो खारिज ही कर देना चाहिए. क्योंकि ये पूरी तरह से अदालती प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल दिल्ली और हरियाणा के बीच यमुना जल के बंटवारे को लेकर विवाद अदालत तक कई बार पहुंचा है. इस बार भी दिल्ली सरकार ने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार पानी के उसके सही हिस्से को रोक रही है. ऐसे में उनकी तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई थी.
याचिका में दिल्ली के हिस्से का पानी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद रोकने के आरोपी हरियाणा के अधिकारियों पर अवमानना का मुकदमा चलाने की मांग की गई थी. दिल्ली सरकार की याचिका में कोर्ट के 1996 के फैसले का जिक्र किया गया था जहां पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की पेयजल जरूरतों को पूरा करने के लिए हरियाणा राज्य द्वारा वज़ीराबाद जलाशय में जल स्तर को उसकी क्षमता के अनुसार पूर्ण रखा जाएगा.
याचिकाकर्ताओं द्वारा ये भी दलील दी गई कि दिल्ली के कई हिस्सों में पानी का संकट है. बताया गया कि हरियाणा से दिल्ली के हिस्से का 120 एमजीडी पानी नहीं दिया जा रहा है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने तमाम दलीलों को खारिज कर दिया और दिल्ली सरकार को भी फटकार लगाई.