scorecardresearch
 

2017-18 में दिल्ली सरकार ने बांट दिया 400 करोड़ का मुफ्त पानी

दिल्ली जल बोर्ड ने हाईकोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में कहा कि सरकार ने 2017-18 तक ही सब्सिडी के तौर पर करीब 400 करोड़ रुपये बांट दिए हैं.

Advertisement
X
दिल्ली जल बोर्ड
दिल्ली जल बोर्ड

दिल्ली सरकार ने हर महीने 20 हजार लीटर मुफ्त पानी देने की योजना के तहत सिर्फ 2017-18 तक ही सब्सिडी के तौर पर करीब 400 करोड़ रुपये बांट दिए हैं. ये जानकारी दिल्ली जल बोर्ड ने हाईकोर्ट को हलफनामा दाखिल करके बताई है. मुफ्त पानी उपलब्ध कराने के मामले को लेकर हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर दिल्ली जल बोर्ड ने हाई कोर्ट से मांगी गई जानकारी पर विस्तृत जानकारी हलफनामे में दी है.

जल बोर्ड ने अपने हलफनामे में बताया है कि साल 2014-15 में शुरू की गई इस योजना में 1.88 करोड रुपए की सब्सिडी दी गई थी.लेकिन 2017- 18 तक यह सब्सिडी 396. 66 करोड रुपए तक पहुंच गई है. जल बोर्ड ने अपने हलफनामे में सब्सिडी की रकम इतनी बढ़ने का कारण भी बताया है. जल बोर्ड के मुताबिक सब्सिडी की धनराशि बढ़ने का कारण लगातार बढ़ रहे उपभोक्ता है.साल 2015 में 20 हज़ार लीटर हर महीने पानी मुफ्त उपभोक्ताओं की संख्या 5.6 लाख थी लेकिन साल 2018 आते आते यह संख्या दुगनी से भी ज्यादा हो गई. जल बोर्ड के मुताबिक 2018 में मुफ्त पानी लेने वाले उपभोक्ताओं की संख्या 11.11लाख हो गई है.

Advertisement

जल बोर्ड ने कोर्ट को जानकारी दी है कि क्योंकि यह योजना आवासीय उपभाेक्ताओं के लिए है तो चालू वाटर मीटर की संख्या भी बढ़ रही है.जल बोर्ड की तरफ से बताया गया है कि मार्च 2015 में चालू वाटर मीटर की संख्या 8.57 लाख थी, जोकि मार्च 2018 में बढ़कर 14.67 लाख हो चुकी है. वहीं बगैर मीटर वाले कनेक्शन की संख्या कम होकर मार्च 2018 तक 1.58 लाख हो चुकी है, जबकि मार्च 2015 में यह संख्या दुगनी से भी ज्यादा 3.29 लाख थी.

दिल्ली हाई कोर्ट उस जनहित याचिका  पर सुनवाई कर रहा है जिसमें दिल्ली सरकार के फरवरी 2015 में शुरू की गई हर माह 20 हजार लीटर मुफ्त पानी की योजना पर सवाल उठाया गया था. याचिका में आरोप लगाया गया है कि योजना को बगैर किसी शोध के लागू किया गया. साथ ही यह भी कहा कि पानी जीवन का अहम स्रोत है फिर ऐसे में इसे मुफ्त में ऐसे ही कैसे बांटा जा सकता है. याचिका में मुफ्त पानी  की योजना पर  खासतौर से इसलिए भी सवाल उठाया गया है क्योंकि राजधानी के कई इलाकों में पानी की पाइपलाइन नहीं है.वहां पर लोग टैंकर के पानी पर निर्भर हैं.

Advertisement
Advertisement