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दिल्‍ली की 'अफसर बेटियां' सुनैना और पारुल

मेहनत और लगन ने दिल्‍ली देहात की दो बेटियों को अफसर बना दिया. सिविल सेवा की परीक्षा में बाजी मारने वाली सुनैना और पारुल की सफलता से पूरा समाज गदगद है और इसलिए रविवार को द्वारका में इन 'अफसर बेटियों' को सम्‍मानित किया गया. UPSC की परीक्षा में सुनैना ने 125वां तो पारुल ने 284वां रैंक हासिल किया है.

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सुनैना और पारुल (बाएं से)
सुनैना और पारुल (बाएं से)

मेहनत और लगन ने दिल्‍ली देहात की दो बेटियों को अफसर बना दिया. सिविल सेवा की परीक्षा में बाजी मारने वाली सुनैना और पारुल की सफलता से पूरा समाज गदगद है और इसलिए रविवार को द्वारका में इन 'अफसर बेटियों' को सम्‍मानित किया गया. UPSC की परीक्षा में सुनैना ने 125वां तो पारुल ने 284वां रैंक हासिल किया है.

नजफगढ़ के ककरोला गांव में जन्मी सुनैना के बारे में स्‍थानीय लोग बताते हैं कि वह बचपन से ही पढ़ाई को लेकर बहुत गंभीर रही हैं. सुनैना ने सिविल सेवा की परीक्षा UGC Net क्‍वालीफाई और JRF व SRF रहते हुए पास की है. यही नहीं, उन्‍होंने पीएचडी में भी दाखिला लिया, लेकिन परीक्षा पर फोकस करने के लिए बीच में पढ़ाई छोड़ दी. सुनैना को सिविल सर्विस परीक्षा से पहले कस्टम-एक्साइज डिपार्टमेंट में इंस्पेक्टर के चयन में भी सफलता मिली है.

सुनैना कहती हैं, 'लोगों का प्‍यार और सम्मान पाकर बहुत अच्‍छा लग रहा है. सफलता मिली है और इसे कायम रखना चाहूंगी. आगे देश की प्रगति के लिए काम करती रहूंगी.

दूसरी ओर, सिविल सर्विस परीक्षा में 284वां रैंक हासिल करने वाली पारुल भी जीवन में तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद कभी कमजोर नहीं पड़ी. बचपन में घर से स्‍कूल तक की दूरी पैदल तय करने वाली पारुल दिल्ली यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर रह चुकी हैं. पारुल ने नजफगढ़ से सटे छावला गांव से पढ़ाई पूरी की और सफलता के शिखर को छूआ.

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अपनी सफलता और लोगों से मिल रहे प्‍यार और सम्‍मान पर पारुल कहती हैं, 'आज मैं बहुत खुश हूं. लोगों से बहुत मान-सम्‍मान मिल रहा है. इससे ज्‍यादा खुशी और कुछ नहीं हो सकती.'

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