मुंबई से सटे पालघर जिले के बोइसर के रहने वाले वरुण वरनवाल ने कामयाबी की नई मिसाल पेश की है. साइकिल की दुकान पर मैकेनिक का काम करने वरुण ने आईएएस की परीक्षा में देश भर में 32वां और महाराष्ट्र में तीसरा स्थान हासिल कर गरीबी को मात दे दी है.
ठाणे जिले के विभाजन के बाद वरुण पालघर जिले के पहले आईएएस है. वरुण जब दसवीं की पढ़ाई कर रहे थे, उनके पिता का देहांत हो गया. वरुण की इस कामयाबी के पीछे उनकी मां, बहन और छोटे भाई का भी बड़ा हाथ है. इन लोगों ने वरुण को पढ़ने के लिए पुणे भेजा और साइकिल की दुकान चलाकर वरुण की पढ़ाई करवाई.
वरुण के टैलेंट को देखते हुए समाज सेवक डॉ. कॉम्पली ने सभी दोस्तों और टीचर्स से वरुण की मदद करने को कहा. इसकी बदौलत वरुण ने आईएएस परीक्षा में शानदार कामयाबी हासिल कर ली.
आईएएस बनने के बाद वरुण जब पहली बार बोइसर पहुंचे तो उनके स्वागत में जनसैलाब उमड़ पड़ा. लोगों का प्यार देखकर वरुण भाव विभोर हो गए और उनकी आंखों से आंसू छलकने लगे. वरुण के मोबाइल की घंटियां रुकने का नाम नहीं ले रही है, उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है.
बेटे की कामयाबी से खुश वरुण की मां ने कहा, 'सबकी मदद से मेरा बेटा आईएएस बना है. जो पढ़ने वाले है उनकी मदद करें.' उन्होंने कहा कि वरुण को भी गरीब बच्चों की मदद करनी चाहिए.