'डूबते को तिनके का सहारा' आपने यह कहावत तो सुनी होगी, लेकिन यह सच है कि अगर कोई डूब रहा है और उसे तैराकी नहीं आती तो भी उफनती नदी या फिर बाढ़ में अपनी जान बचा सकता है.
देश के कई राज्यों में बाढ़ के कारण हालात खराब हैं. जबकि दिल्ली के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा है. ऐसे में अगर आप पानी की लहरों के बीच बिना लाइफ जैकेट फंस जाएं और तैरना भी न आता हो तो भी आप घरेलू सामानों की मदद से ना केवल अपनी जान बल्कि किसी अन्य डूबते हुए को इन घरेलू सामानों का सहारा देकर बचा सकते हैं.
स्विमिंग पूल में डूबने से बचाने के लिए घरेलू सामानों से बनाई गई लाइफ जैकेट से बाढ़ में भी बचने का नुस्खा मिलेगा. दिल्ली में बाढ़ की संभावना को देखते हुए किसी भी स्थिति से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दल (एनडीआरएफ) की 8 टीमें वजीराबाद, लोहे का पुल और नोएडा के अलग-अलग इलाकों में लगाई गई हैं. वहीं छह टीमों को स्टैंडबाय के तौर पर रखा गया है.

एनडीआरएफ के इंस्पेक्टर नवीन कुमार ने बताया स्विमिंग पूल में डूबते समय अगर पानी की बोतलों के ढक्कन को कसकर रस्सियों से बांधकर बोरे में भरकर डूब रहे किसी शख्स के पास फेंक दिया जाए और वह शख्स अपने आप को बोतलों के बीच के घेरे में खड़ा कर दे तो भले ही उसे तैरना ना आता हो, लेकिन पानी में उसका वजन एक तिहाई कम हो जाएगा और वह डूबने से बच जाएगा.
इसी तरह सूखे हुए नारियल को छीलना नहीं है. बहुत टाइट रस्सी के साथ बांध लेना है तो वह भी एक लाइफ जैकेट का काम करेगा. ट्यूब टायर के जरिए भी एनडीआरएफ के लाइफ जैकेट की तरह सुरक्षा घेरा बनाया जा सकता है. इतना ही नहीं बंबू के जरिए क्रॉफ्ट भी तैयार किया जा सकता है.
एनडीआरएफ की आठवीं बटालियन के सब इंस्पेक्टर दिगंबर चौहान भी निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को इसी तरह की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं. ट्रेनिंग देने के बाद दिगंबर चौहान ने कहा कि लोहे के पुल के पास वह लोगों को बता रहे हैं कि मेडिकल बूथ, शेल्टर या फिर वह घरेलू सामान कौन-कौन से हैं, जिनके जरिए बाढ़ में खुद को बचाया जा सकता है.
दिल्ली में यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए निचले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को वहां से निकालकर सुरक्षित जगहों या फिर सरकारी टेंटों में शरण लेने को कह दिया गया है.