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दिल्ली विधानसभा का फांसी घर अब बना टिफिन कक्ष, स्पीकर ने ऐतिहासिक दस्तावेजों का दिया हवाला

दिल्ली विधानसभा के उस हिस्से को, जिसे पहले 'फांसी घर' बताया गया था, अब 'टिफिन कक्ष' में बदल दिया गया है. विधानसभा स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने सदन में चर्चा के दौरान बताया कि विधानसभा में 'फांसी घर' का कोई इतिहास नहीं है.

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दिल्ली विधानसभा ने 'फांसी घर' का नाम बदलकर 'टिफिन कक्ष' कर दिया गया है (Photo: Screengrab)
दिल्ली विधानसभा ने 'फांसी घर' का नाम बदलकर 'टिफिन कक्ष' कर दिया गया है (Photo: Screengrab)

दिल्ली विधानसभा के जिस हिस्से को पहले 'फांसी घर' बताया गया था उसे अब 'टिफिन कक्ष' में बदल दिया गया है. इसे लेकर बीते दिनों काफी बयानबाजी भी हुई थी. इसका नाम बदलने की जानकारी खुद विधानसभा स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने सदन में एक चर्चा के दौरान दी.

इससे पहले 9 अगस्त 2022 को, तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस कथित फांसी घर का उद्घाटन किया था, जिस पर काफी विवाद हुआ था. अब इसका नाम बदल दिया गया है.

गुप्ता ने बताया कि जब नेशनल आर्काइव्स से विधानसभा के इतिहास से जुड़े दस्तावेज निकाले गए, तो पता चला कि 1911 में जब यह इमारत बनी थी, तब यह 'टिफिन घर' था.उस वक्त ऊपर खाना बनाया जाता था, जिसे रस्सी के ज़रिए नीचे सदस्यों तक पहुंचाया जाता था.

इस मुद्दे पर बीजेपी विधायक अभय वर्मा ने कहा कि पिछली सरकार "भैंस को बकरी बनाने में भरोसा रखती थी." बीजेपी ने तब सदन को गुमराह करने के लिए AAP के नेता अरविंद केजरीवाल से माफी की मांग की थी.

यह भी पढ़ें: दिल्ली विधानसभा में मिले 'फांसीघर' की क्या है सच्चाई? सत्ताधारी बीजेपी और AAP में छिड़ी बहस

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 AAP ने सरकार पर साधा निशाना

वहीं, सदन में शिक्षा से जुड़े एक विधेयक पर चर्चा के दौरान, आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक संजीव झा ने सरकार पर निशाना साधा. फीस रेगुलेशन बिल पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस विधेयक को बिना किसी से राय-मशविरा किए लाया गया है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने इस पर चर्चा के लिए कोई विशेष सत्र नहीं बुलाया.

संजीव झा ने कहा कि बिल को जानबूझकर अगस्त में लाया गया है, ताकि सभी निजी स्कूल बढ़ी हुई फीस वसूल सकें और बाद में इस विधेयक के जरिए उसे कानूनी मान्यता दे दी जाए.

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