दिल्ली में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर अरविंद केजरीवाल की सरकार ने अपना रुख और कड़ा कर लिया है. अल्टीमेटम की अवधि समाप्त होने के बाद भी 15 हजार डॉक्टरों की हड़ताल जारी है, वहीं सरकार ने कार्रवाई करते हुए ESMA ला दिया है.
इससे पहले केजरीवाल सरकार ने एक चेतावानी जारी करते हुए राज्य सरकार के अधीन काम करने वाले हड़ताली डॉक्टरों से काम पर लौटने के लिए कहा था. इसमें कहा गया कि सभी डॉक्टर तत्काल प्रभाव से मंगलवार 11 बजे दिन तक काम पर लौट आएं वर्ना सरकार कठोर कदम उठाएगी. बताया जाता है कि डॉक्टरों ने सरकार से लिखित आश्वासन मांगा है. दिल्ली में 15 हजार डॉक्टर हड़ताल पर हैं.
बीजेपी का प्रदर्शन, कांग्रेस का निशाना
डॉक्टरों की हड़ताल खत्म करवा पाने में अब तक असफल रही 'आप' सरकार के खिलाफ विपक्ष ने मोर्चा खोल दिया है. दिल्ली बीजेपी ने जहां इस ओर सड़कों पर प्रदर्शन किया, वहीं कांग्रेस की ओर से अजय माकन ने जुबानी हमला किया है. माकन ने कहा, 'यह दुखद है कि मामला सुलझाने की बजाय दिल्ली सरकार केंद्र से लड़ाई और अपनी बड़ाई में व्यस्त है. मैं सरकार से कहना चाहूंगा कि वह लोगों की समस्या पर भी ध्यान दे.'
क्या है ESMA, क्या होगा आगे
आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) हड़ताल को रोकने के लिए लगाया जाता है. एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को किसी समाचार पत्र या अन्य दूसरे माध्यम से सूचित किया जाता है. एस्मा का नियम अधिकतम छह महीने के लिए लगाया जा सकता है. इसके लागू होने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध और दण्डनीय है. क्रिमिनल प्रोसीजर 1898 (5 ऑफ 1898) के तहत एस्मा लागू होने के बाद इस आदेश को नहीं मानने पर संबंधित किसी भी कर्मचारी को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है.
'सभी शर्तें मान ली गई हैं'
इससे पहले दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने कहा है कि हड़ताली डॉक्टरों की सभी 19 मांगों और शर्तों को मान लिया गया है. राज्य डॉक्टरों की मांग को लेकर केंद्र सरकार और एमसीडी को संबंधित मुद्दों के बारे में लिखने के लिए भी तैयार है.
प्रदेश सरकार का कहना है कि जब सभी मांगें मान ली गई हैं तो हड़ताल का कोई औचित्य नहीं बनता. लिहाजा, सभी डॉक्टर तत्काल प्रभाव से काम पर लौट आएं.