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किसान आंदोलन: टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी की कोरोना से मौत, पश्चिम बंगाल की महिला ने गंवाई जान

जानकारी मिली है कि 25 वर्षीय महिला पश्चिम बंगाल की थी और 12 अप्रैल से टिकरी बॉर्डर आंदोलन में शामिल थी. पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी.

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टिकरी बॉर्डर पर कोरोना से पहली मौत ( फोटो पीटीआई)
टिकरी बॉर्डर पर कोरोना से पहली मौत ( फोटो पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • टिकरी बॉर्डर पर कोरोना से प्रदर्शनकारी की मौत
  • पश्चिम बंगाल की थी महिला किसान
  • कोरोना बेकाबू, किसान आंदोलन जारी

दिल्ली में एक तरफ कोरोना की बेकाबू रफ्तार जारी है तो वहीं किसानों का विरोध प्रर्दशन भी शांत नहीं पड़ा है. अभी भी बॉर्डरों पर किसान डटे हुए हैं और तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. इस बीच टिकरी बॉर्डर पर कोरोना ने दस्तक दे दी है. एक महिला किसान की कोरोना की वजह से मौत हो गई है. 

टिकरी बॉर्डर पर कोरोना से पहली मौत

जानकारी मिली है कि 25 वर्षीय महिला पश्चिम बंगाल की थी और 12 अप्रैल से टिकरी बॉर्डर आंदोलन में शामिल थी. पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी. बीमार होने के बावजूद भी उन्हें किसी तरह की कोई मेडिकल सुविधा नहीं मिल सकी और देखते ही देखते उनकी स्थिति गंभीर बन गई. जब महिला की तबीयत ज्यादा बिगड़ी तब जाकर उन्हें शिवम अस्पताल में भर्ती करवाया गया और उनकी कोविड रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ गई. अब क्योंकि महिला ने पहले से अपना इलाज नहीं करवाया, इसी वजह से वे इस वायरस के आगे हार गईं और किसान आंदोलन में कोरोना की सेंधमारी हो गई.

संक्रमित शव किसानों को क्यों सौंपा गया ?

मौत के बाद कोरोना संक्रमित महिला का किसानों की उपस्थिति में ही अंतिम संस्कार भी किया गया है. लेकिन यहां पर भी एक मुद्दे पर विवाद खड़ा हो गया. सवाल उठाए जा रहे हैं कि संक्रमित शव किसानों को क्यों सौंपा गया था? इससे कोरोना फैलने का खतरा और ज्यादा नहीं बढ़ जाएगा? इस बारे में जब एसडीएम हितेंद्र कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वे मामले की जांच करेंगे. उनकी मानें तो जांच पूरी होने के बाद ही किसी तरह का एक्शन लिया जाएगा.

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पश्चिम बंगाल की थी महिला किसान

किसान नेताओं के मुताबिक आंदोलन के दौरान हर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है और सभी से टीका लगवाने की भी अपील हो रही है. वहीं दावा ये भी किया गया है कि वैक्सीनेशन के काम में सभी किसानों की तरफ से प्रशासन को पूरा सहयोग दिया जा रहा है और अपनी बारी आने पर सभी किसान टीका लगवा रहे हैं. लेकिन इन दावों के बीच एक युवा महिला की कोरोना से मौत चिंता का विषय है. वहीं क्योंकि इस आंदोलन में और भी कई किसान शामिल हैं, ऐसे में वायरस के फैलने का खतरा लगातार बना हुआ है.

कोरोना बेकाबू, किसान आंदोलन जारी

बता दें कि कोरोना के बीच भी किसान भारी संख्या में बॉर्डर पर डटे हुए हैं. एक तरफ टिकरी बॉर्डर पर 16 हजार के करीब किसान मौजूद हैं तो वहीं सिंघु बॉर्डर पर भी 8 हजार किसानों का जमावड़ा है. प्रशासन की तरफ से कई बार किसानों को हटाने का प्रयास हुआ है, उन्हें समझाने की भी कोशिश रही है, लेकिन ये आंदोलन कई महीनों से लगातार जारी है. पिछले साल सितंबर में मोदी सरकार के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले ये किसान अभी भी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. उन्हें किसी भी तरह का समझौता स्वीकार नहीं है, सिर्फ तीनों कृषि कानून खत्म करने की मांग है. सरकार संग बैठक तो कई हो गई हैं, लेकिन नतीजा निकलता नहीं दिखा है. अब जब कोरोना फुल स्पीड से आगे बढ़ रहा है, ऐसे में बैठकों का दौर भी रुक गया है और किसान भी बॉर्डर पर डटे हुए हैं.

(रिपोर्ट-ANI)

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