राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक समय अस्पतालों में बेड खाली नहीं थे. कोरोना संक्रमित मरीजों को इधर से उधर भटकना पड़ता था. हाल यह हो गया था कि अस्पतालों में बेड न मिलने के कारण उपचार के अभाव में कई मरीजों की जान चली गई थी. अब दिल्ली सरकार के कोविड आरक्षित अस्पतालों में 75 फीसदी से अधिक बेड खाली हैं.
अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमितों की संख्या में कमी आई है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा है कि 23 जून के मुकाबले 26 जुलाई तक बेड ऑक्यूपैंसी में तेजी से गिरावट आई है. उन्होंने कहा है कि अब काफी कम संख्या में लोग बीमार पड़ रहे हैं. अधिकतर लोग जो बीमार पड़ रहे हैं, उनका घर पर ही उपचार किया जा रहा है.
कोरोना पर फुल कवरेज के लिए यहां क्लिक करेंCorona bed occupancy has come down sharply from 23 June to 26 July.
Much lesser no of people are now falling ill. Most of those falling ill are getting treated at home. Therefore, v few people are now needing hospitalization pic.twitter.com/zSEIGABxyP
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) July 26, 2020
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा है कि अब कुछ ही लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ रही है. केजरीवाल के इस ट्वीट में ग्राफिक्स भी हैं. इनमें अस्पतालों में कुल बेड, खाली बेड के आंकड़े दर्शाए गए हैं. ग्राफिक्स के मुताबिक 26 जुलाई को दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना के लिए आरक्षित 15301 बेड में से महज 2841 बेड पर ही मरीज हैं. 12460 बेड खाली हैं.
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मुख्यमंत्री की ओर से ट्वीट किए गए ग्राफिक्स के मुताबिक कुल 1188 में से 778 वेंटिलेटर्स खाली हैं. 23 जून को दिल्ली में उपलब्ध कुल 13389 बेड में से 6263 बेड पर मरीज थे. तब 7126 बेड खाली थे. तब कुल 708 वेंटिलेटर्स में से 242 खाली थे. गौरतलब है कि दिल्ली में संक्रमितों की तादाद एक लाख 29 हजार 500 के पार पहुंच चुकी है.देश-दुनिया के किस हिस्से में कितना है कोरोना का कहर? यहां क्लिक कर देखें
कोरोना से संक्रमण के कारण दिल्ली में 3800 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. हालांकि, राहत की बात यह है कि दिल्ली में एक लाख 13 हजार से अधिक संक्रमित उपचार के बाद ठीक भी हो चुके हैं. फिलहाल दिल्ली में कोरोना के 12 हजार 650 से अधिक एक्टिव केस हैं, जिनमें से 7300 से अधिक मरीज होम आइसोलेशन में हैं.