कोरोना वायरस से जुड़े मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. सरकार ने शॉपिंग मॉल, मल्टीप्लेक्स, स्कूल-कॉलेज बंद करने के आदेश दिए हैं. दिल्ली पुलिस ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए इसे तेजी से बढ़ने से रोकने के लिए किसी भी तरह के धरना, प्रदर्शन या सार्वजनिक आयोजन पर रोक लगा दी है. इन सबके बीच नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ 15 दिसंबर से शाहीन बाग में शुरू महिलाओं का प्रोटेस्ट जारी है.
दिल्ली पुलिस ने भी शाहीन बाग जाकर कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए प्रदर्शन समाप्त करने की अपील की, लेकिन कोई हल नहीं निकला. दिल्ली पुलिस की कोशिश विफल रही. अब नेशनल कमीशन फॉर चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) ने इसे गंभीरता से लिया है. एनसीपीसीआर ने कोरोना वायरस के बढ़े खतरे के बीच शाहीन बाग में जमा हो रहे लोगों को लेकर साउथ ईस्ट दिल्ली के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से रिपोर्ट तलब की है.
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गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने भी एक साथ 50 से अधिक लोगों के एकत्रित न होने का आदेश दिया था. कोरोना के खतरे और सरकार की सलाह के बावजूद महिलाएं धरना स्थल पर डटी हुई हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उनके लिए सीएए और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) कोरोना वायरस से अधिक खतरनाक हैं. हमारे स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सरकार की है.
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शाहीन बाग में धरना स्थल पर 100 चौकियां लगाई गई हैं. एहतियातन एक चौकी पर दो महिलाएं ही बैठ रही हैं. बच्चों को प्रदर्श स्थल से दूर रहने को कहा गया है, वहीं बुजुर्ग भी बचाव के लिए मास्क लगा रहे हैं. बता दें कि देश में अब तक कोरोना वायरस के 155 मामले सामने आ चुके हैं. सरकार ने पर्यटन स्थलों को भी बंद कर दिया है. साथ ही लोगों को भीड़ से बचने की सलाह दी गई है.