बीते 12 महीनों में बिजली और पानी के मुद्दों को आम आदमी पार्टी ने ऐसा भुनाया कि पार्टी देश की राजधानी में सत्ता पर काबिज हो गयी. इतना ही नहीं सत्ताधारी कांग्रेस का तो भूत, भविष्य, वर्तमान सब चौपट कर दिया. कांग्रेस चुनाव से ठीक पहले बिजली-पानी के इन्हीं बुनियादी मुद्दों को हथियाने के लिए हर कवायद कर रही है.
बुधवार को दिल्ली प्रदेश के कांग्रेसियों नेताओं का समूह जलबोर्ड के सीईओ के साथ बैठक करने पहुंचा. आचार संहिता लगने के बावजूद कांग्रेसी नेताओं ने जलबोर्ड के अफसर से मुलाकात की और दफ्तर के बाहर निकलकर दिल्ली को पीने के पानी की कमी न होने देने की डींगे भी हांकी.
वहीं गुरुवार को डीईआरसी के मुखिया पीडी सुधाकर की कुंडी खटखटाने दिल्ली राज्य के तमाम वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पहुंचे, जिनमें अरविंदर सिंह लवली, डॉ. एके वालिया, सुभाष चोपड़ा, हारुन यूसुफ, डॉ. योगानंद शास्त्री और राजकुमार चौहान शामिल थे. जब नेताओं से पूछा गया कि चुनावी आचार संहिता लागू होने के बाद अधिकारियों के चक्कर काटने कांग्रेसी नेता क्यों पहुंचे?
उन्होंने आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को जमकर कोसा. ये वही पार्टी है, जिनके साथ 18 मुद्दों पर कांग्रेस के ये नेता सरकार के साझीदार थे. मुकेश शर्मा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल पानी की बदहाली के लिए और सब्सिडी न मिलने के लिए जिम्मेदार हैं. हम सीईओ से कहने गए थे कि दिल्ली की जनता को पीने के पानी की कमी नहीं होनी चाहिए वरना कांग्रेस जलबोर्ड के दफ्तर पर ही धरना देगी.
अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि अरविंद धोखेबाज हैं. बिजली की सब्सिडी और 700 लीटर मुफ्त पानी के मुद्दे पर उन्होंने दिल्ली को गुमराह किया है. हमने डीईआरसी से मांग की है कि दिल्ली मे बिजली की कीमतों मे इजाफा नहीं होना चाहिए.
दरअसल, सच ये है कि एक बार फिर से बिजली-पानी के मुद्दों का दामन थाम कांग्रेस पार्टी दिल्ली के दिल में घर करने की भरपूर कोशिश में लगी है, क्योंकि अपनी आंखों के आगे पिछले बारह महीनों में आम आदमी पार्टी को शून्य से शिखर तक पहुंचते कांग्रेस ने देखा है.लिहाजा इन मुद्दों को अपना हथियार बनाने में कांग्रेस कोई कमी नहीं छोड़ रही.