scorecardresearch
 

दिल्ली बनाम केंद्र की जंग में कूदी कांग्रेस, मनीष तिवारी बोले- LG दरबार में याचिकाकर्ता बनेगी सरकार...

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने इसे गलत बताया है और राज्य सरकार के अधिकार छीनने का आरोप लगाया है. अब कांग्रेस भी इस जंग में कूदी है और केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस मसले पर ट्वीट किया.

Advertisement
X
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने किया ट्वीट (फाइल फोटो)
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने किया ट्वीट (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली और केंद्र में अधिकारों की जंग
  • कांग्रेस ने भी किया बिल का विरोध

केंद्र सरकार द्वारा संसद में लाए गए NCT एक्ट से जुड़े संशोधित बिल पर दंगल छिड़ गया है. दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने इसे गलत बताया है और राज्य सरकार के अधिकार छीनने का आरोप लगाया है. अब कांग्रेस भी इस जंग में कूदी है और केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस मसले पर ट्वीट किया और कहा कि अगर बिल पास हुआ तो दिल्ली में सिर्फ उपराज्यपाल का राज होगा.

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ट्वीट कर लिखा कि गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टैरिटरी ऑफ दिल्ली (संशोधित बिल) 2021 अगर लागू होता है, तो दिल्ली में लोकतंत्र दब जाएगा. अगर बिल पास हुआ तो दिल्ली की चुनी हुई सरकार और विधानसभा उपराज्यपाल के दरबार में सिर्फ याचिकाकर्ता होंगे. अब उपराज्यपाल दिल्ली पर आक्रामक तरीके से राज करेंगे, वो भी गृह मंत्रालय के जरिए. 


पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने भी केंद्र सरकार के बिल का विरोध किया है. चिदंबरम का कहना है कि ये बिल लोकतंत्र के खिलाफ है और दिल्लीवालों का अपमान करता है. नया बिल आने के बाद दिल्ली का उपराज्यपाल केंद्र सरकार के लिए वायसराय हो जाएगा, जो अपने बॉस का काम पूरा करेगा. 

आपको बता दें कि कांग्रेस से पहले आम आदमी पार्टी इस मसले पर आक्रामक रवैया अपनाए हुए है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तक, हर कोई केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है और दिल्ली सरकार के अधिकार खत्म करने का आरोप लगाया जा रहा है. 

किस मसले को लेकर छिड़ी है रार?
दरअसल, दावा है कि केंद्र द्वारा नए बिल के पास होने के बाद दिल्ली में उपराज्यपाल के पास अधिक अधिकार होंगे. विधानसभा से इतर भी कई ऐसे मामले होंगे, जिनमें अब राज्य सरकार को उपराज्यपाल की अनुमति लेना जरूरी होगा. संशोधन के मुताबिक, विधायिका से जुड़े फैसलों के लिए सरकार को LG को 15 दिन पहले और प्रशासनिक फैसलों में सात दिन पहले ही मंजूरी लेनी होगी. 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि केंद्र द्वारा लाया जा रहा बिल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है और दिल्ली सरकार के अधिकारों को खत्म करता है. बिल पास होने के बाद दिल्ली में उपराज्यपाल ही सरकार होंगे. 

Advertisement


 

Advertisement
Advertisement