एम्स में इलाज कराना अब और महंगा हो सकता है. संस्थान ने स्टैंडिंग फाइनेंस कमिटी को भेजे गए अपने नए प्रस्ताव में कई सारे टेस्ट और प्रक्रियाओं के चार्ज में 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव रखा है. इसमें हॉर्ट सर्जरी भी शामिल है. स्टैंडिंग फाइनेंस कमिटी मंगलवार को यानी आज बैठक होगी.
उदाहरण के लिए प्रस्तावित बदलावों के मुताबिक जन्म के समय से ही होने वाले ट्रायल सेप्टल डिफेक्ट (एएसडी) के इलाज का खर्च जनरल वार्ड के मरीज के लिए 46,000 रुपये आएगा. वहीं प्राइवेट वार्ड में भर्ती होने वाले मरीजों को 70,000 रुपये का भुगतान करना होगा. हालांकि मौजूदा रूप में एएसडी के इलाज का खर्च दोनों कैटेगरी के लिए क्रमशः 40,000 और 57,000 रुपये आता है.
एम्स के प्रवक्ता डॉ. अमित गुप्ता ने कहा कि पैकेज रेट सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए जो गरीबी रेखा के तहत नहीं आते. उन्होंने कहा, 'जो लोग भुगतान कर सकते हैं उन्हें देना चाहिए. ये चार्ज मार्केट रेट से बहुत कम है.'
दूसरी ओर इस कमिटी पर ही सवाल उठने लगा है, क्योंकि एम्स की इंस्टिट्यूट बॉडी (आईबी) का कार्यकाल पहले ही खत्म हो चुका है. जब आईबी ही नहीं है, तो कमिटी कैसे तय हो गई और इस कमिटी को इतने बड़े फैसले लेने का हक कैसे मिल गया. एम्स के कई फैकल्टी मेंबर ने बैठक का विरोध करने का फैसला किया है.
सूत्रों का कहना है कि आखिर इतने बड़े बजट को पास कराने के लिए एम्स प्रशासन जल्दीबाजी क्यूं कर रहा है. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि एम्स में इलाज कराना भी महंगा होने वाला है. एम्स के हार्ट डिपार्टमेंट में इलाज कराना 20-30 फीसदी तक महंगा हो सकता है. यही नहीं, यहां के डेंटल डिपार्टमेंट का भी पैकेज रिवाइज किया जा रहा है, इसका मतलब यह है कि डेंटल में इलाज कराना भी महंगा हो जाएगा.