scorecardresearch
 

दिल्ली के 100 लोग जमा नहीं हो सकते, 500 रिफ्यूजी कैसे जुटे? अफगानियों के प्रदर्शन पर HC का सवाल

दिल्ली स्थित UNHCR दफ्तर के बाहर अफगानों का प्रदर्शन चल रहा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने इनको हटाने की याचिका पर सुनवाई की. केंद्र को मसला सुलझाने का वक्त दिया गया है.

Advertisement
X
प्रदर्शन में अफगानी बच्चे भी शामिल (फोटो-PTI)
प्रदर्शन में अफगानी बच्चे भी शामिल (फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली में UNHCR दफ्तर के बाहर अफगानों का प्रदर्शन
  • प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए HC में याचिका दायर हुई है

अफगान संकट के बीच दिल्ली के वसंत कुंज में मौजूद UNHCR (शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त) दफ्तर के बाहर अफगानी लोगों का प्रदर्शन चल रहा है. इनको हटाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसपर सुनवाई हुई. सुनवाई में हाईकोर्ट ने इस बात पर स्पष्टीकरण मांगा कि कोविड काल में राजधानी में दिल्ली के लोगों को 100 से ज्यादा जुटने की इजाजत नहीं है, लेकिन एक ही जगह 500 'रिफ्यूजी' इकट्ठा हो गए.

कोर्ट में केंद्र (गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय) ने कहा कि वह दो-तीन दिनों में इस मसले को सुलझा लेगा. कोर्ट ने केंद्र को वक्त दे दिया है. अब इसपर अगले हफ्ते मंगलवार को सुनवाई होगी. कोर्ट ने यह भी बात उठाई कि जब प्रदर्शन के लिए जंतर मंतर, राम लीला ग्राउंड या बोट क्लब को चिन्हित किया गया है तो प्रदर्शनकारी UNHCR दफ्तर के बाहर क्यों बैठे.

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि आप अगर 500 लोगों को ऐसे खड़े होने देंगे तो यह जरूर कोरोना सुपर स्प्रेडर इवेंट बन जाएगा. आगे कहा गया कि अगर मंगलवार तक मामला नहीं सुलझाया गया तो कोर्ट कुछ ऑर्डर देने को मजबूर होगा.

दिल्ली सरकार ने कहा - प्रदर्शनकारियों ने नहीं ली थी इजाजत

दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि अफगान प्रदर्शनकारियों की तरफ से इसके लिए कोई इजाजत नहीं ली गई थी. दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वकील ने आगे कहा कि कोरोना संकट को देखते हुए वहां प्रदर्शनकारियों को मास्क बांटे गए थे और सोशल डिस्टेंसिंग का नियम पालन करने को भी कहा गया था. 

Advertisement

सुनवाई में हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या UNHCR ऑफिस के बाहर वाली सड़क के अलावा कोई जगह है जहां प्रदर्शनकारी जा सकते हैं? इसपर दिल्ली सरकार ने कहा कि प्रदर्शनकारी चाहें तो जंतर-मंतर जा सकते हैं. लेकिन उसके लिए भी तय नियमों का पालन करना होगा, जिसमें प्रदर्शन से पहले इजाजत लेना जरूरी है. साथ ही 10 से शाम 5 के बीच सीमित लोगों के साथ ही धरने की इजाजत होगी. आगे कहा गया कि अगर लोग ज्यादा हैं तो रामलीला मैदान जाया जा सकता है. 

वहीं पुलिस ने कहा कि अबतक उन्होंने प्रदर्शनकारियों को बलपूर्वक हटाने की कोशिश नहीं की है. क्योंकि यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय प्रभाव वाला और संवेदनशील है. पुलिस ने कहा कि आगे जो कोर्ट कहेगा वह उसका पालन करेगी.

कोर्ट ने मांगा स्पष्टीकरण - कैसे जुटी इतनी भीड़

कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने बताया कि वहां दिन में करीब 500 प्रदर्शनकारी जमा होते हैं. रात को 50-100 की भीड़ वहां रुकती है. इसपर कोर्ट ने सख्ती के साथ पूछा कि कोविड काल में दिल्ली में दिल्ली के ही लोग एक जगह 100 से ज्यादा नहीं जुट सकते. लेकिन रिफ्यूजी 500 तक इकट्ठा हो गए. कोर्ट ने इसपर स्पष्टीकरण मांगा. 

कोर्ट ने भी माना कि प्रदर्शनारी प्रदर्शन के लिए चिन्हित जगहों पर क्यों नहीं गए. आगे केंद्र ने कोर्ट से 2-3 दिन की मोहलत मांगी और कहा कि वह इसे सुलझा लेगा, जिसपर कोर्ट राजी हो गया.

Advertisement

केंद्र ने दिल्ली HC को बताया कि प्रदर्शनकारी स्वेच्छा से नहीं हैं.  वे वहां हैं क्योंकि उनकी कुछ मजबूरी है. हम सभी को समझना होगा कि शरणार्थियों का दर्द क्या है. याचिकाकर्ताओं को भी इसे समझना चाहिए. बता दें कि याचिका वसंत विहार वेलफर एसोसिएशन की ओर से दायर की गई थी, जिसपर अब 7 सितंबर को सुनवाई होगी.

Advertisement
Advertisement