आम आदमी पार्टी का आंतरिक विवाद और बढ़ गया है. सूत्रों के मुताबिक पीएसी से निकाले जाने के बाद आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से भी योगेंद्र और प्रशांत भूषण को निकाला जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक पार्टी की नेशनल काउंसिल की 28 मार्च को होने वाली बैठक में ये फैसला लिया जा सकता है. इस बैठक से पहले पार्टी नेता मनीष सिसोदिया, गोपाल राय, पंकज गुप्ता और संजय सिंह ने बयान जारी कर प्रशांत भूषण शांति और योगेंद्र यादव पर हमला किया है. ये हैं योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण पर AAP के आरोप
बयान में कहा गया है कि ये दुःख की बात है कि जब सब कार्यकर्ता अपना पसीना बहा रहे थे, तो हमारी पार्टी के ये सीनियर नेता पार्टी को कमजोर करने और पार्टी को हराने में लगे थे. जो लोग पार्टी को चन्दा देना चाहते थे, प्रशांत भूषण ने उन लोगों को भी चन्दा देने से रोका. योगेंद्र यादव ने अरविंद की छवि खराब करने के लिए अखबार में नेगेटिव खबरें छपवाईं. बयान में कहा गया है कि आवाम बीजेपी की ही संस्था है और प्रशांत भूषण ने इसका समर्थन किया था.
I welcome the statement by 4 colleagues. Begins the possibility of open, transparent dialogue. Truth shall prevail.
— Yogendra Yadav (@AapYogendra) March 10, 2015
Hope this statement ends all slander, planting of allegations. Hope no more coercion of party functionaries and Delhi MLAs on this issue.
— Yogendra Yadav (@AapYogendra) March 10, 2015
बयान के आखिर में कहा गया है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने बहुमत से दोनों वरिष्ठ साथियों को पार्टी की पीएसी से मुक्त करके नई जिम्मेदारी देने का निर्णय लिया. पार्टी ये बात पहले खुलकर नहीं कह रही थी, लेकिन इन तीनों की लगातार कोशिशों को देखकर पार्टी ने ये निर्णय सार्वजनिक करने का फैसला लिया है.Hope PB and my response will also be duly publicised by the party media. Hope party's website will be opened for all volunteers responses.
— Yogendra Yadav (@AapYogendra) March 10, 2015
दरअसल आम आदमी पार्टी ने तीनों नेताओं के बारे में बयान जारी किया था. इसमें कहा गया था कि पार्टी ने यह सोचकर योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को पीएसी से हटाने के कारणों को सार्वजनिक नहीं किया कि उससे इन दोनों के व्यक्तित्व पर विपरीत असर पड़ेगा, लेकिन बैठक के बाद मीडिया में लगातार बयान दे कर माहौल बनाया जा रहा है जैसे राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने अलोकतांत्रिक और गैरजिम्मेदार तरीके से यह फैसला लिया.
मीडिया को देखकर कार्यकर्ताओं में भी यह सवाल उठने लगा है की आखिर इनको पीएसी से हटाने की वजह क्या है. पार्टी के खिलाफ मीडिया में बनाये जा रहे माहौल से मजबूर होकर पार्टी को दोनों वरिष्ठ साथियों को पीएसी से हटाये जाने के कारणों को सार्वजनिक करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
पार्टी के नेता संजय सिंह ने आजतक से बातचीत में कहा कि जिस प्रकार से मयंक गांधी भाई के ब्लॉग और प्रशांत, योगेन्द्र यादव टीवी इंटरव्यू दे रहे हैं, कार्यकर्ताओं में गलतफहमी थी. प्रशांत भूषण आम आदमी पार्टी को हराने में जुटे थे, वो बीजेपी को क्यों जीताना चाहते थे? इस बात का पालन किसने किया, योगेन्द्र ने खूब इंटरव्यू दिए, सच्चाई क्या है सामने आना चाहिए. प्रशांत भूषण ने पीएसी की मीटिंग में कहा कि इस पार्टी को बर्बाद कर दो. जिस तरह का बयान इनकी तरफ से आया उससे पार्टी को काफी नुकसान हुआ. आशीष खेतान से प्रशांत भूषण ने कहा कि 20-22 सीट आए तो अरविन्द केजरीवाल का दिमाग ठीक हो जाएगा. आगे जो फैसला होगा, उस पर पार्टी निर्णय करेगी.
राजनीति में एक पार्टी का विवाद दूसरे लिए के हमले का औजार होता है. ऐसे में जाहिर है कि दूसरी पार्टियां आम आदमी पार्टी के इस बवाल पर कैसे पीछे रह सकती है. कांग्रेस और बीजेपी ने इस मामले पर केजरीवाल एंड कंपनी पर निशाना साधा है. बीजेपी की शाजिया इल्मी ने कहा कि आम आदमी पार्टी में अरविंद केजरीवाल ही सब कुछ हैं.
इन सबसे बीच आम आदमी पार्टी के पॉपुलर नेता कुमार विश्वास ने कहा है कि पार्टी की बैठक में निर्णय हुआ था कि शांत रहना है, लेकिन सभी लोग जिस तरह से बोल रहे हैं ये ठीक नहीं. बड़ा नेता हो या छोटा अनुशासन से ऊपर कोई नहीं. पार्टी के फोरम में बात रखें, हम दोबारा बैठ सकते हैं, पीएसी में बैठ सकते हैं. किसी भी मसले पर कोई शुरुवात से सहमत और असहमत हो सकता है.