दिल्ली में 15 सालों के अंतराल पर सत्ता में लौटने की उम्मीद लगाये बीजेपी ने रविवार को एक तरह से प्रदेश में चुनावी प्रचार शुरू कर दिया और पिछले दो वर्षों में बिजली के बढ़े बिल समेत अन्य मुद्दों पर शीला दीक्षित सरकार पर निशाना साधा.
बीजेपी ने चुनाव में जीत हासिल करने पर बिजली की दरों में 30 प्रतिशत कटौती करने का फार्मूला पेश किया.
रामलीला मैदान में बीजेपी की चुनावी रैली में पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह, प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल, किरण खेर, हर्षवर्धन, आरती मेहरा समेत कई बड़े बीजेपी नेताओं ने हिस्सा लिया.
रैली को संबोधित करते हुए सिंह ने दिल्ली की भ्रष्ट कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया, साथ ही प्रदेश में सत्ता में आने पर समाज के सभी वर्गो के कल्याण के लिए योजनाएं शुरू करने का वायदा किया. दिल्ली में नवंबर में चुनाव होने हैं.
राजनाथ ने कहा, ‘रामलीला मैदान में इतनी बड़ी रैली से यह संदेश जा रहा है कि दिल्ली की वर्तमान सरकार को चुनाव में पराजित होने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती है.’ इस अवसर पर गोयल ने दिल्ली में बिजली क्षेत्र में बड़े घोटाले का आरोप लगाया और दावा किया कि निजी बिजली वितरण कंपनियों एवं दिल्ली सरकार के बीच सहयोग के कारण उपभोक्ता परेशान है.
गोयल ने बिजली की दरों में 30 प्रतिशत कटौती करने के लिए 10 सूत्री फार्मूला पेश किया. गोयल ने कहा, ‘बिजली के बिल का भुगतान करने के लिए जल्द ही आपको बैंकों से ऋण लेना होगा. यह बीजेपी की रैली नहीं है, यह आक्रोश रैली है. यह शोषण के खिलाफ आंदोलन है. अगर हम सत्ता में आए तब बिजली की दरों में 30 प्रतिशत की काटौती करेंगे. अगर नये फार्मूला पर अमल किया गया तो मुख्यमंत्री भी कल से ही दरों को कम कर सकती हैं.’ गोयल काफी समय से मुख्यमंत्री पद के आकांक्षी है लेकिन समझा जाता है उन्हें पार्टी में वी के मल्होत्रा, विजेन्दर गुप्ता, आरती मेहरा जैसे नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
उन्होंने बिजली के दरों को कम करने के फार्मूले के तहत बिजली क्षेत्र की तुलना दूरसंचार क्षेत्र से कर दी और कहा कि 1996 में मोबाइल दर 16 रुपया थी और अब यह घटकर 30 पैसा रह गई है. यह प्रतिस्पर्धा के कारण हुआ और दरें कम हुई. जब बिजली क्षेत्र में इस तरह की प्रतिस्पर्धा होगी तब दरें कम हो जायेंगी.
गडकरी नहीं हुए शामिल
हालांकि गडकरी और नवजोत सिंह सिद्धू योजना के अनुसार रैली में शामिल नहीं हुए. और गडकरी की गैरमौजूदगी पर अब सवाल खड़े होना शुरू हो गए हैं. कहा यह भी जा रहा है कि गडकरी विजय गोयल के काम के तरीके से नाखुश हैं.. पार्टी में मतभेद कम करने के लिए उन्होंने कोर कमेटी बनाने को कहा था लेकिन गोयल ने इस पर कोई काम नहीं किया.