सोशल मीडिया पर एक तस्वीर बहुत वायरल हो रही है. तस्वीर में एक बच्चा दिख रहा है और उसके सामने कुछ खाने जैसे पैकेट रखे हैं और वो इन पर लिख रहा है- ‘खुश रहिए’. इस तस्वीर को सोशल मीडिया यूजर्स की ओर से बहुत पसंद किया जा रहा है.
बच्चे की तस्वीर वाली अधिकतर पोस्ट में लिखा गया है कि बच्चे की मां अस्पताल में भर्ती मरीजों को बांटने के लिए खाने के पैकेट बनाती है और बच्चा इन पैकेट्स पर ‘खुश रहिए’ लिखता है. बच्चे की तस्वीर और संदेश वाकई बहुत सकारात्मकता फैलाने वाला है. इसलिए जो भी इस तस्वीर को देखता है इस बच्चे का मुरीद हो कर रह जाता है.
सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर बड़ी संख्या में यूजर्स ने इन फोटो को शेयर किया है, लेकिन बच्चे की पहचान फिर भी पहेली बनी रही. किसी ने इस बच्चे को गुवाहाटी का बताया तो किसी ने मध्य प्रदेश के सोहागपुर का. किसी ने भोपाल का तो किसी ने इंदिरापुरम गाजियाबाद का. मध्य प्रदेश के सोहागपुर से ताल्लुक रखने वालीं राजो मालवीय ने 16 मई को दोपहर 1.55 पर इस फोटो को ट्वीट किया. इन्होंने ट्विटर पर अपने प्रोफाइल में खुद को मध्य प्रदेश बीजेपी की प्रवक्ता के साथ ‘हेकल्याणी’ पत्रिका की संपादक और पत्रकार कल्याण परिषद का महासचिव बताया हुआ है.
इन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- “खुश रहिए,,,,,,,,, यह अद्विक है ,कोविड रिलीफ ब्रिगेड का सबसे छोटा वॉलंटियर, इनकी मम्मी रिचा शर्मा जी लेडी हॉस्पिटल में भर्ती गर्भवती महिलाओं के लिए पौष्टिक आहार बनाती हैं और अद्विक उस पर लिखते हैं -खुश रहिए…” राजो मालवीय से जब आज तक ने संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि ये तस्वीर उन्हें सोशल मीडिया पर मिली थी जो उन्हें अच्छी लगी और उन्होंने इसे शेयर कर दिया. राजो मालवीय ने माना कि उन्हें बच्चे की सही लोकेशन का नहीं पता.
ट्वीटर पर आईपीएस अधिकारी आरके विज ने इस फोटो को 18 मई को शाम 6.28 मिनट पर फॉरवर्ड करने के साथ लिखा- “गुवाहाटी में एक मां घरों और मरीजों को घर का पका खाना भेजती है और उसका बेटा उसकी मदद करता है.”
आजतक ने गुवाहाटी में बच्चे के बारे में पड़ताल की लेकिन वहां इसका कोई पता नहीं चला. इस बच्चे की तस्वीर को रेडियो जॉकी RJ Kartik ने इस तस्वीर को फेसबुक पर 19 मई को सुबह 8.54 पर इस कैप्शन के साथ शेयर किया- “इस बच्चे की मां अस्पताल में भर्ती महिलाओं के लिए भोजन बनाती हैं और ये बच्चा उन पैकेट्स पर "ख़ुश रहिए" लिखता है . मदद के इस काम में इस बच्चे के हिस्से ख़ुश रहिए लिखना आया है ईश्वर इस बच्चे को ढेरों ख़ुशियां दें.”
आरजे कार्तिक की ये पोस्ट वायरल हो गई. खबर लिखे जाने तक इसे एक लाख 38 हजार लाइक्स मिल चुके थे और इसे 5500 बार शेयर किया जा चुका था. लेकिन ये लगातार पहेली बना रहा कि बच्चे की असली पहचान क्या है. आजतक के लिए इस बच्चे के सही पते तक पहुंचना जरूरी था.
19 मई को दोपहर 12.37 पर अमितोष गौतम ने अपने ट्विटर हैंडल पर बच्चे की वायरल तस्वीर अपलोड करने के साथ उसे अपना भतीजा बताया. उनके ट्विटर प्रोफाइल के मुताबिक वे नेशनल प्रोडक्टिविटी काउंसिल में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर तैनात हैं और गांधीनगर, गुजरात में कार्यरत हैं. इन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- खुश रहिए और दूसरों को खुश रखिए. मेरा भतीजा अद्विक मरीजों को बांटने के लिए तैयार खाने के पैकेट्स पर स्लोगन लिख रहा है- खुश रहिए.
अहमदाबाद से आज तक ने अमितोष गौतम से संपर्क किया तो बच्चे के बारे में सही लोकेशन का पता चला. जैसा कि अमितोष ने लिखा अद्विक गौतम उन्हीं का भतीजा है और भोपाल में रहता है. अद्विक के पिता आशुतोष गौतम भोपाल में एक गैस कंपनी में जॉब करते हैं. 6 साल का अद्विक दूसरी क्लास में पढ़ता है. अद्विक के पिता आशुतोष गौतम और मां रिचा गौतम भोपाल के ऐसे लोगों में शामिल है जो कोरोना के मुश्किल वक्त में लोगों की मदद करने के लिए आगे आए हैं.
अद्विक की मां रिचा टीचर हैं. अद्विक के माता-पिता ने अपने घर से ही खाना बनाकर कोरोना के मरीजों को भेजना शुरू कर दिया. माता-पिता के संस्कार ही है कि अद्विक भी लोगों की मदद करने का जज्बा रखता है. रिचा भोपाल के कोविड रिलीफ ब्रिगेड के साथ जुड़ी हुई हैं. उनका कहना है कि कुछ दिनों पहले उनके पास एक फोन आया था कि भोपाल के अस्पताल कुछ गर्भवती महिलाएं कोरोना पॉजिटिव हैं और उनके लिए पौष्टिक खाने की जरूरत है. उन्हीं के लिए रिचा ने 80 फूड पैकेट अपने हाथों से बनाए और टेबल पर रखे. खाने की डिलिवरी लेने आने वालों को कुछ वक्त था.
रिचा और उनके पति आशुतोष को लगा कि पैकेट्स के ऊपर कुछ अच्छा सकारात्मक संदेश लिखना चाहिए. तब ही माता-पिता की बात सुन नन्हें अद्विक ने कहा कि मम्मी इस पर ‘खुश रहिए’ मैसेज लिखना चाहिए. इसके बाद खुद अद्विक ने फूड पैकेट्स पर इस मैसेज के साथ प्यारी सी स्माइली भी बनाई. उसी वक्त की एक तस्वीर रिचा और आशुतोष ने अपने कुछ फ्रेंड्स को भी दिखाई. इसी के चलते ये सोशल मीडिया पर अपलोड हुई और वायरल हो गई.
अद्विक के पिता आशुतोष का कहना है, “हमें ना सिर्फ़ भारत से बल्कि विदेश से भी उसके दोस्तों के फ़ोन आ रहे है, हालांकि हमारा मक़सद ये नहीं था कि बच्चे की तस्वीर वायरल हो जाएं. लेकिन हमने सिर्फ़ इसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर प्राइवेट ग्रुप के दोस्तों के लिए ही रखा था जो अब वायरल हो गई. हमारा मक़सद लोगों तक इस मुश्किल वक्त में मदद पहुंचाना था, वो हम जारी रखे हुए हैं. (फोटो - गोपी घांघर)