जागेश्वर प्रसाद अवधिया को ₹100 की रिश्वत लेने के आरोप से बरी होने में 39 साल लग गए. 1986 में दर्ज यह मामला 2025 में समाप्त हुआ. इस लंबी कानूनी प्रक्रिया ने उनके जीवन को सबसे बड़ी सज़ा बना दिया. जागेश्वर प्रसाद अवधिया मध्य प्रदेश रोड ट्रांसपोर्ट स्टेट कॉर्पोरेशन में बिलिंग असिस्टेंट थे. आरोप के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया और उन्हें आधी तनख्वाह पर जीवन बिताना पड़ा. इस दौरान उनके परिवार को भारी आर्थिक और मानसिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. उनके बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई और उनकी पत्नी का निधन मानसिक तनाव के कारण हुआ.