पांच सालों में छत्तीसगढ़ में 282 करोड़ रुपये से अधिक की बेहिसाबी रकम का पता लगाया गया है. राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा ने भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों पर छापा मारकर यह रकम जब्त की है. भ्रष्टाचार के आरोपियों में आईएएस और आईएफएस अधिकारी भी शामिल हैं.
एसीबी और ईओडब्लू ने चलाया है अभियान
जनवरी महीने की 16 तारीख को एबीसी टीम ने भारतीय वन सेवा के तीन अधिकारियों समेत नौ अधिकारियों के कई ठिकानों पर एक साथ छापे मारे थे. इन अधिकारियों से एसीबी ने 22 करोड़ रुपये से अधिक संपत्ति का पता लगाया था. एसीबी के मुताबिक अधिकारियों की यह संपत्ति उनकी आय से अधिक है. इसका मतलब साफ है कि यह काली कमाई का ही एक हिस्सा है. यह नौ अधिकारी राज्य के उन 63 अधिकारियों और कर्मचारियों में से हैं जिनके खिलाफ बीते पांच सालों में एसीबी और ईओडब्लू ने बेहिसाब संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज किया है.
इस साल नौ अधिकारियों की जांच
इस दौरान एसीबी ने 185 रिश्वतखोर अधिकारियों और कर्मचारियों को रंगेहाथ पकड़ा है. इनसे 22 करोड़ रुपये से अधिक रकम भी बरामद की गई है. इन अधिकारियों में भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी भी शामिल है. आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2011 में एसीबी ने गैरकानूनी संपत्ति के मामले में 17 अधिकारियों के ठिकानों पर, साल 2012 में 10 अधिकारियों, साल 2013 में तीन अधिकारियों, साल 2014 में सात अधिकारियों और साल 2015 में 17 अधिकारियों के ठिकानों पर छापे मारे. इस साल 2016 में अभी तक नौ अधिकारियों के ठिकानों पर छापे मारे जा चुके हैं.
नान स्कैम में मिली बड़ी कामयाबी
बीते एक साल के दौरान एसीबी ने छापे की कई कार्रवाई की और इस दौरान आईएएस और आईएफएस अधिकारी भी जांच के दायरे में आए. इसी दौर में एसीबी ने राज्य के सबसे चर्चित नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के भ्रष्टाचार का खुलासा किया. इसके बाद कई अधिकारी एसीबी के खिलाफ हो गए. एसीबी ने साल 2015 के फरवरी महीने में नागरिक आपूर्ति निगम के राज्य भर के दफ्तरों में छापे की कार्रवाई की थी. एसीबी ने इस दौरान नान के दफ्तरों से छह करोड़ रुपये भी बरामद किए थे.
सेबी और ईडी की मिली मदद
एसीबी के बड़े अफसरों ने बताया कि नान में भ्रष्टाचार हावी था. अधिकारी लगातार काली कमाई कर रहे थे. इसी तरह अन्य विभागों में भी काली कमाई के कारण अधिकारी राज्य को नुकसान पहुंचा रहे थे. एसीबी ने लगातार छापेमारी की तब यहां भ्रष्टाचार पर लगाम लग सका है. राज्य में लगातार छापे की वजह से भ्रष्टाचार के मामलों में गिरावट आई है. सूचना तंत्र की मजबूती की वजह से ही एसीबी बड़ी कार्रवाई कर सकी है. भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी संस्थाओं की मदद भी ली जा रही है.
एसीबी के रवैए पर भी उठे सवाल
अधिकारियों के खिलाफ लगातार हो रहे छापे के बाद राज्य में एसीबी के कामकाज के तरीकों पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं. नान घोटाले में नाम आने के बाद राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर खुद को बेगुनाह बताया था. उन्होंने एसीबी के अधिकारियों पर उन्हें फंसाए जाने का अरोप लगाया था. वहीं भारतीय वन सेवा और प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों ने भी एसीबी के तौर-तरीकों पर चिंता जताई है.