छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मियों की रैली के शुरू होने से पहले ही, पुलिस ने उनके नेताओं को गिरफ्तार कर आंदोलन को खत्म करने की कोशिश थी, लेकिन यह संभव नहीं हो पाया. नेताओं की गिरफ्तारी के बावजूद छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में करीब 10 हजार शिक्षाकर्मी पहुंच गए. नेताओं की गिरफ्तारी के बाद इस आंदोलन की कमान महिला शिक्षाकर्मियों ने अपने हाथों में ले ली. बाद में इन सभी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया.
अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे शिक्षाकर्मियों को रायपुर की 9 अस्थाई जेलों में रखा गया है. जहां न तो उनके लिए पीने के पानी का इंतजाम है और न ही शौचालयों का कोई अच्छा प्रबंध. राज्य की बीजेपी सरकार ने पहली बार शिक्षाकर्मियों पर इतनी सख्ती बरती है. इससे पहले इन्हीं शिक्षाकर्मियों को रायपुर में परिवार सहित 38 दिनों तक आंदोलन करने की इजाजत राज्य सरकार ने दी थी.
शिक्षाकर्मियों के मुताबिक जिस तरीके से राज्य की बीजेपी सरकार आंदोलन के पहले ही उनके नेताओं और उनकी गिरफ्तारी कर उनको जेल भेज रही है. राज्य सरकार उनकी आवाज को दबाने की कोशिश में जुटी है. पर वो आगे की राजनीति पर काम कर रहे हैं. जो शिक्षाकर्मी रायपुर नहीं पहुंचे हैं उनके लिए निर्देश जारी कर दिया गया है कि वे विकासखंड मुख्यालय में प्रदर्शन करें. इसका ज़िम्मा विकास खंड प्रमुखों को सौंपा गया है. इनसे राज्यपाल को गिरफ्तारी के विरोध में ज्ञापन सौंपने को भी कहा गया है.