छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार शराब से 3700 करोड़ रुपये की आमदनी का लक्ष्य निर्धारित करके बुरी तरह फंस गई है. सूबे की ढाई करोड़ की आबादी से शराब के जरिए इतनी आमदनी का लक्ष्य रखने को लेकर विपक्ष ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दलों ने कहा कि बीजेपी छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा नहीं, बल्कि दारु का ग्लास बनाने में जुटी है.
दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार अपनी तिजोरी भरने के लिए शराब से अर्जित होने वाली आमदनी का ग्राफ हर साल बढ़ाती जा रही है, जबकि दूसरी ओर सरकार का दावा है कि वो दो हजार से कम आबादी वाले इलाकों में शराब की दुकानें बंद करने की योजना पर काम कर रही है. हालांकि कम आबादी वाले इलाकों में दुकानें बंद करने का सरकार का फैसला राजनीतिक तराजू में तौला जा रहा है.
सरकार को चाहिए कि अगर वो कम आबादी वाले इलाके में शराब की दुकानें बंद कर रही है, तो इससे होने वाले राजस्व को भी घटाया जाना चाहिए, लेकिन इन दुकानों से होने वाली आमदनी को बढ़ाया जा रहा है और दूसरी दुकानों में शिफ्ट किया जा रहा है. इससे शराब की खपत में कोई कमी नहीं आ रही है. लिहाजा विपक्ष राज्य की बीजेपी सरकार को आड़े हाथों ले रहा है.
वैसे तो बीजेपी ने राजनीति में अपनी छवि शराब विरोधी सिद्धांतों वाली पार्टी के रूप में स्थापित की है, लेकिन लगता है कि पेशेवर राजनीति के चलते उसने पार्टी के सिद्धांतों को भी ताक में रख दिया है. कमोबेश छत्तीसगढ़ में शराब की खपत और राज्य सरकार को उससे होने वाली आमदनी को देखकर उसका बखूबी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
यह भी दिलचस्प है कि राज्य सरकार खुद शराब बेच रही है. इसका पूरा कारोबार उसके हाथों में है. इसके लिए बाकायदा निगम मंडल भी बनाए गए हैं. इसके पहले तक राज्य में ठेकों के जरिए शराब का कारोबार निजी हाथों में था, लेकिन पिछले वर्ष सरकार ने पॉलिसी में तब्दीली की और पूरा कारोबार अपने हाथ में ले लिया. इस वित्तीय वर्ष में भी सरकार ने शराब के कारोबार का बीड़ा उठाया है.
3200 से 3700 करोड़ रुपये कमाने का लक्ष्य
चालू वित्तीय वर्ष में राज्य की बीजेपी सरकार ने शराब के कारोबार को 3200 करोड़ रुपये से सीधे 3700 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. इससे साफ है कि राज्य में शराबबंदी की दिशा में किसी भी तरह की पहल नहीं की जा रही है, जबकि बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में साफ किया था कि अगर वो तीसरी बार सत्ता में आई, तो कुछ इलाकों में आंशिक रूप से और कुछ इलाकों में पूरी तरह शराबबंदी करेगी, लेकिन साढ़े चार साल बीत गए और अभी तक शराबबंदी की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए. इससे विपक्ष को बीजेपी की घेराबंदी का मौका मिल गया है.
शराब प्रेमियों की नाराजगी नहीं मोल लेना चाहती सरकार
इस चुनावी साल में बीजेपी राज्य में निवासरत किसी भी मदिरा प्रेमी को नाराज नहीं करना चाहती है. लिहाजा उसने शराबबंदी से तौबा कर ली है. राज्य के आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल ने साफ किया कि शराबबंदी को लेकर कोई प्रस्ताव उनके पास नहीं है. जाहिर है कि बीजेपी ने अपने इस कार्यकाल के अंतिम महीनों में साफ संकेत दे दिए हैं कि प्रदेश में पूरी तरह से शराबबंदी नहीं होगी.
कांग्रेस ने रमन सरकार के खिलाफ छेड़ा आंदोलन
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि शराब को कमाई का जरिया बनाकर बीजेपी सरकार ने राज्य की एक बड़ी आबादी को नशाखोरी का आदी बना दिया है. कांग्रेस नेता मुरली अग्रवाल ने राज्य के विभिन्न इलाकों में शराबबंदी की मांग को लेकर आंदोलन छेड़ दिया है. उन्होंने आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में पूरी तरह शराबबंदी की मांग की है. साथ ही बीजेपी द्वारा चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वायदे नहीं निभाने के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया है.
महिलाओं ने शराब के खिलाफ खोल रखा है मोर्चा
इस वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार ने ऐसी आबकारी नीति बनाई है, जिससे शराबी भी खुश रहें और कोष भी भर जाए. पिछले वर्ष की तुलना में राज्य सरकार ने इस बार ज्यादा की कमाई करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस मामले को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी को आड़े हाथों लिया है. दरअसल, राज्य के सभी जिलों में शराब के प्रतिबंध के खिलाफ महिलाओं ने मोर्चा खोल रखा है. वो शराबबंदी की मांग कर रही हैं. दूसरी ओर शराब से आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार ने नई पॉलिसी और प्लान बनाया है.