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गाय को नगर माता घोषित करने पर बीजेपी और कांग्रेस में रार

छत्तीसगढ़ के भीतर गायों को लेकर एक बार फिर से राजनीति तेज हो गई है. रायपुर नगर निगम ने गाय को शहर माता घोषित कर दिया है. वहीं अफसरों को समझ नहीं आ रहा है कि वे किस नियम के तहत गाय को शहर माता का दर्जा दें. आमतौर पर मेयर को शहर का प्रथम नागरिक माना जाता है. वहीं गाय को नगर माता घोषित करने के बाद कांग्रेस ने बीजेपी को मुंह चिढ़ाना शुरू कर दिया है.

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गौ माता (राजनीति)
गौ माता (राजनीति)

छत्तीसगढ़ के भीतर गायों को लेकर एक बार फिर से राजनीति तेज हो गई है. रायपुर नगर निगम ने गाय को शहर माता घोषित कर दिया है. वहीं अफसरों को समझ नहीं आ रहा है कि वे किस नियम के तहत गाय को शहर माता का दर्जा दें. आमतौर पर मेयर को शहर का प्रथम नागरिक माना जाता है. वहीं गाय को नगर माता घोषित करने के बाद कांग्रेस ने बीजेपी को मुंह चिढ़ाना शुरू कर दिया है. कांग्रेस ने तर्क दिया है कि वे गाय को लेकर बीजेपी की तरह राजनीति नहीं करते. बल्कि गाय को सही मायनो में सम्मान देते हैं.

छत्तीसगढ़ में इन दिनों कांग्रेसियों का गौ प्रेम देखते ही बन रहा है. कोई कांग्रेसी नेता गाय को चारा दे रहा है. कोई दुलार कर रहा है तो कोई गाय को प्रदर्शन का जरिया बना कर बीजेपी की बखिया उधेड़ रहा है. रायपुर के नगर निगम ने तो बकायदा प्रस्ताव पारित कर गाय को नगर माता घोषित किया है. इस नगर निगम पर कांग्रेस का कब्जा है. लिहाजा गाय को आदरपूर्वक नगर माता का दर्जा दे कर कांग्रेसी फुले नहीं समा रहे हैं.

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गाय को भले ही आमजनों की भाषा में गौ माता कहा जाए लेकिन विधिवत रूप से गौ माता कहने के लिए संविधान में कोई उल्लेख नहीं है.  यही स्थिति नगर पालिका अधिनियम की भी है. नगर पालिका अधिनियम में शहर का प्रथम नागरिक घोषित करने को लेकर बकायदा नियम प्रक्रिया दर्ज है. पर किसी जानवर को शहर माता घोषित करने को लेकर कोई प्रावधान नहीं है.  अफसर माथापच्ची कर रहे है कि आखिर किस नियम और प्रक्रिया के तहत गाय को नगर माता घोषित करने वाले प्रस्ताव पर वे अपनी मुहर लगाएं. इन सभी बातों से बेखबर मेयर ने तो बाकायदा प्रस्ताव पारित कर अपना फैसला सुना दिया.

रायपुर शहर के मेयर प्रमोद दुबे के मुताबिक छत्तीसगढ़ की राजधानी में गौ माता को नगर माता बनाए जाने का प्रस्ताव सभी ने पारित किया है. वे कहते हैं कि मुगल काल से होते हुए आज भी गाय को मातृतुल्य मानते हैं लेकिन क्या हम उनके प्रति ईमानदारी से काम करते हैं? यूं ही कोई बात कहना और सचमुच में चीजें करने में काफी फर्क है.

राज्य में गाय के मुद्दे पर कांग्रेसी आक्रोशित हैं. पार्टी ने राज्य की विभिन्न गौ शालाओ में गायों की मौत को लेकर बीजेपी की घेराबंदी की है. यही नहीं गायों को बचाने के लिए कांग्रेस ने बकायदा अभियान छेड़ रखा है. वे बीजेपी को गौ हत्या करने वाली पार्टी बता कर आंदोलन भी कर रहे हैं. पार्टी का आरोप है कि बीजेपी सिर्फ गाय को लेकर राजनीति करती है. वहीं कांग्रेस गाय को सम्मान देने वाली पार्टी है. कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल कहते हैं कि बीजेपी इस मामले में केवल राजनीति कर रही है. आखिर गाय के नाम से लोगो को मारना यह कौन सा धर्म है? वे इसे हिंसा मानते हैं और विरोध करते हैं.

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बीजेपी कर रही है बचाव

गाय के मुद्दे पर हमेशा मुखरता से राजनीति करने वाली बीजेपी आज बचाव की मुद्रा में है. हाल ही में राज्य की तीन गौशालाओ में 36 से ज्यादा गाय बेमौत मर गईं.  यह तीनों ही गौशालाएं बीजेपी नेताओं की थीं.  लिहाजा कांग्रेस के हमले से बीजेपी पशोपेश में है. उसे कांग्रेस का गाय को शहर माता करार देने का मुद्दा गले से नहीं उतर रहा है.

वे दलील दे रहे हैं कि गाय तो सनातन काल से ही गौ माता का दर्जा रखती है. बीजेपी शाषित राज्यों में गाय सुरक्षित है . रही बात बीजेपी नेताओं के गौशालाओं में गायों की मौत की बात तो सरकार ने ना केवल आरोपी कार्यकर्ता को हवालात की सैर करा दी बल्कि गायों के सुरक्षित संरक्षण को लेकर जुडिशियल कमीशन भी बना दिय. फिलहाल गाय के मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के नेता आमने-सामने आ गए हैं. दोनों ही पार्टियों के बीच गौ सेवा को लेकर जंग छिड़ी हुई है. आने वाले दिनों में इस मुद्दे के और भी गरमाने के आसार हैं.

 

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