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छत्तीसगढ़ HC में संसदीय सचिवों पर सुनवाई 30 जनवरी को

इसके पहले पत्रकारों से चर्चा करते हुए मोहम्मद अकबर ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बीडी टंडन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने राज्य की बीजेपी सरकार को बचाने के लिए अपने पद का दुरूपयोग किया. उनके मुताबिक बीते दो सालों में कांग्रेस ने संसदीय सचिवों की बर्खास्तगी और उन्हें अयोग्य ठहराए जाने को लेकर राज भवन में 22 शिकायतें की, लेकिन राज्यपाल ने उसे चुनाव आयोग को नहीं भेजा.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिवों की नियुक्ति को लेकर हाई कोर्ट में 30 जनवरी को सुनवाई होगी. उम्मीद की जा रही है कि फैसला भी इसी दिन आ सकता है. दरअसल पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता और छत्तीसगढ़ सरकार दोनों अपना पक्ष रख चुके है. इस मामले में सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कुछ दस्तावेज भी अदलात को सौंपे हैं. इसमें तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार के दौरान विधान सभा में पारित विधान सभा सदस्य्ता अहर्ता संशोधन अधिनियम  भी शामिल है. इसी अधिनियम को राज्य की  बीजेपी सरकार ने जस का तस अपनाया था. दो  दिन पहले कांग्रेस प्रवक्ता और पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर ने बिलासपुर हाई कोर्ट में मामले की जल्द सुनवाई को लेकर एक याचिका दायर की थी. इसी याचिका की सुनवाई के बाद 30 जनवरी की तिथि मुकर्रर की गयी है.

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इसके पहले पत्रकारों से चर्चा करते हुए मोहम्मद अकबर ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बीडी टंडन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने राज्य की बीजेपी सरकार को बचाने के लिए अपने पद का दुरूपयोग किया. उनके मुताबिक बीते दो सालों में कांग्रेस ने संसदीय सचिवों की बर्खास्तगी और उन्हें अयोग्य ठहराए जाने को लेकर राज भवन में 22 शिकायतें की, लेकिन राज्यपाल ने उसे चुनाव आयोग को नहीं भेजा. उनके मुताबिक ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले की जांच विधिवत रूप से राज्यपाल के जरिये  चुनाव आयोग तक प्रेषित होनी चाहिए.

एक RTI कार्यकर्ता ने भी छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में संसदीय सचिवों की गैर क़ानूनी नियुक्ति को लेकर जनहित याचिका दायर की हुई है. इसमें ग्यारह संसदीय सचिव किस तरह से सरकारी सुख सुविधा से लाभान्वित हो रहे हैं. उसका पूरा ब्योरा दर्ज है. याचिकाकर्ता  डॉ राजेश डेगवेकर के मुताबिक छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिवों की नियुक्ति पूरी तरह से असंवैधानिक है. हालांकि लगभग डेढ़ सालो से हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है. ज्यादातर बार तारीख पे तारीख मिलने के चलते सुनवाई संभव नहीं हो पाई है. फिलहाल लोगों की निगाहें हाई कोर्ट में 30 जनवरी को होने वाली सुनवाई पर टिकी हुई है.   

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