छत्तीसगढ़ मे एक बैंक मैनजेर की नार्को टेस्ट की सीडी ने राज्य की बीजेपी सरकार को कटघरे मे ला खड़ा किया है. इस सीडी मे बैंक मैनेजर ने कहा है कि उसने राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह समेत उनके मंत्रिमंडल के चार मंत्रियों और डीजीपी को एक-एक करोड़ रुपये दिए.
इस मैनेजर का अदालत के निर्देश पर नार्को टेस्ट तो हुआ लेकिन वो सीडी अदालत मे जमा नही कराई गई. कांग्रेस ने यह सीडी जारी कर राज्य की बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. 2007 में छत्तीसगढ़ का सहकारी सेक्टर का सबसे बड़ा इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक करोड़ों के घोटाले के बाद डूब गया था. नार्कों टेस्ट के दौरान अपना बयान देने वाला शख्स रायपुर के इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक का जनरल मेनेजर उमेश सिन्हा है.
इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक छत्तीसगढ़ का सहकारी क्षेत्र का सबसे बड़ा और भरोसेमंद बैंक था. राज्य भर में इसके तीस हजार से जायदा ग्राहक थे. खास बात यह थी की इस बैंक के संचालक मंडल में कांग्रेस के नेताओं की पत्नियां और महिला नेता शामिल थीं. ये तमाम महिलाएं ही बैंक का संचालन करती थीं. 2007 में 40 करोड़ का घोटाला उजागर होने पर यह बैंक डूब गया. प्रारभिक जांच पर पता चला की बैंक के मैनेजर समेत संचालक मंडल ने करोड़ों रुपये का गबन किया है और फर्जी ऋण बांट कर आम ग्राहकों की रकम डकार ली. पुलिस ने धोखाधड़ी और अमानत में खयानत का मामला दर्ज कर इस घोटाले के लिये 13 लोगों के खिलाफ अदालत में चालान पेश किया था.
उधर बीजेपी सरकार इस सीडी को फर्जी बता रही है. राज्य सरकार के प्रवक्ता और राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने संवाददाता सम्मेलन कर इस सीडी की सच्चाई पर सवाल खड़ा कर दिया और कहा कि यह कांग्रेस की पुरानी आदत है कि वह असत्य बातों को सीडी के माध्यम से लाकर सत्य बताने का प्रयास करती है. फिलहाल इस सीडी को लेकर मचे घमासान से राज्य का राजनीतिक गलियारा गर्म है.