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वंदे भारत में बिना टिकट सफर करना पड़ेगा भारी, रेलवे के इन कर्मचारियों पर होगा एक्शन!

Vande Bharat Train: बिलासपुर रेलवे जोन में रेल अधिकारी कर्मचारियों की मनमानी इस कदर बढ़ गई है कि अब वे सामान्य नियमों का भी पालन नहीं करना चाहते. इसका ताजा उदाहरण वंदे भारत ट्रेन में मुफ्त में सैर सपाटा करने वाले रेल कर्मचारी और अधिकारी हैं. रेलवे ने इन 65 कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है.

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Vande Bharat Train (Representational Image)
Vande Bharat Train (Representational Image)

वंदे भारत ट्रेन में मुफ्त में सफर करना रेलवे के अधिकारी/कर्मचारियों को उस वक्त भारी पड़ा जब इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को हुई तो बिना टिकट यात्रा करने वालों के खिलाफ पेनल्टी और कार्रवाई के लिए बकायदा नोटिस जारी कर दिए गए. ये सभी अधिकारी/ कर्मचारी बिलासपुर से नागपुर तक चलने वाली वंदे भारत ट्रेन में सफर कर रहे थे. एक तरफ जहां आम लोगों को वंदे भारत ट्रेन में सफर करने के लिए मोटी रकम चुकानी पड़ती है तो वहीं दूसरी तरफ रेलवे के अधिकारी और कर्मचारी इसका आनंद मुफ्त में ले रहे हैं.  

65 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ होगी कार्रवाई
इस पूरे मामले को लेकर बिलासपुर रेलवे जोन के वरिष्ठ अधिकारियों ने इन 65 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ बिना किसी वैध टिकट के यात्रा करने के मामले में कार्रवाई करने का मन बना लिया है. हालांकि, जोन के अफसरों का यह मानना है कि यह नियमों की जानकारी के बिना अफसरों की यात्रा किए जाने से जुड़ा है. अनभिज्ञता में इन लोगों ने वंदे भारत ट्रेन में सफर कर लिया होगा. 

क्या है पूरा मामला?

बिलासपुर से नागपुर के बीच 11 दिसंबर से शुरू हुई वंदे भारत सुपरफास्ट एक्सप्रेस में पिछले कुछ दिन में रेलवे के ही 65 अधिकारियों को नियमों के खिलाफ या बिना किसी वैध टिकट के यात्रा करते हुए पकड़ा गया है. इस खुलासे से बिलासपुर जोन में हड़कंप मच गया है. कुछ अफसर परिवार के साथ सफर करते हुए मिले हैं. रेलवे के नियम हैं कि ऐसे अफसरों की नौकरी जा सकती है. हालांकि, रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो इस तरह के मामले में उन्हें नियमों की अनदेखी करने के बजाय उन्हें नियमों के बारे में जानकारी ना होना या सामान्य रूप से अनभिज्ञ होने जैसी दलील दी जा रही है. 

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सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, हाल में हुए बदलाव के मुताबिक सलेक्शन ग्रेड अफसर के नीचे के लेवल के अधिकारियों यानी जूनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड, ए और बी ग्रुप के राजपत्रित अधिकारियों को एक्जीक्यूटिव क्लास का पास बंद कर दिया गया है. इसी तरह अराजपत्रित अधिकारियों को मेल– एक्सप्रेस, राजधानी, दूरंतो, शताब्दी में एक्जीक्यूटिव क्लास में पास पर यात्रा के लिए अपात्र कर दिया गया. वंदे भारत को शताब्दी की कैटेगरी में रखा गया है. पात्रता नहीं होने के बावजूद सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड से नीचे के 65 से अधिक अधिकारी बिलासपुर से नागपुर के बीच चलने वाली वंदेभारत में सफर करते हुए मिले हैं. 

आम लोगों को चुकानी पड़ती है सफर के लिए मोटी रकम
बिलासपुर से नागपुर तक चलने वाली वंदे भारत सुपर एक्सप्रेस ट्रेन में आम लोगों को सफर के दौरान तकरीबन 3 गुना पैसा देना होता है लेकिन रेलवे के अधिकारी अपनी नौकरी और रसूख का फायदा उठाते हुए इस ट्रेन में मुफ्त में सफर करने को अपना अधिकार समझते हैं. रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों ने कार्रवाई का मन तो बना लिया लेकिन, अब बिलासपुर रेलवे जोन के ही कुछ अधिकारियों ने इस पूरे मामले में लीपापोती करनी शुरू कर दी है.  

आम लोगों का कितना लगता है पैसा?
रेलवे के अनुसार, बिलासपुर से रायपुर तक का किराया 905 रुपये है. इसी तरह बिलासपुर से दुर्ग 1155, बिलासपुर से राजनांदगांव 1265, बिलासपुर से गोंदिया 1620, बिलापुर से नागपुर 2045, रायपुर से दुर्ग 705, रायपुर से राजनांदगांव 825, रायपुर से गोंदिया 1245, रायपुर से नागपुर 1695, दुर्ग से राजनांदगांव 690, दुर्ग से गोंदिया 1125, दुर्ग से नागपुर 1575, राजनांदगांव से गोंदिया 1015, राजनांदगांव से नागपुर 1460 और गोंदिया से नागपुर 950 रुपये किराया है. 

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एग्जीक्यूटिव क्लास में सस्ता सफर संभव
एक्जीक्यूटिव क्लास में बिलासपुर से रायपुर 470 रुपये, बिलासपुर से दुर्ग 635, बिलासपुर से राजनांदगांव 690, बिलासपुर से गोंदिया 865, बिलासपुर से नागपुर 1075, रायपुर से दुर्ग 380, रायपुर से राजनादगांव 440, रायपुर से गोंदिया 680, रायपुर से नागपुर 900, दुर्ग से राजनांदगांव 365, दुर्ग से गोंदिया 720, दुर्ग से नागपुर 845, राजनांदगांव से गोंदिया 565, राजनांदगांव से नागपुर 785 और गोंदिया से नागपुर 495 रुपये है. 

बिलासपुर रेलवे जोन के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी साकेत रंजन ने जानकारी दी कि यह कोई गंभीर बात या लापरवाही नहीं है. यह पूरी घटना रेलवे का इंटरनल मामला है. रेलवे के अधिकारियों की तरफ से सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि यह पूरा मामला जनहित से जुड़ा नहीं है. उन्होंने सफाई देते हुए यह भी कहा कि 65 अधिकारियों कर्मचारियों का आंकड़ा गलत हो सकता है.

 

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