बस्तर में एक बार फिर केंद्रीय सुरक्षाबलों के जवानों पर आदिवासी महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और मारपीट का आरोप लगा है. हालांकि मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं. महिलाओं ने आरोप लगाया है कि जवानों ने उनके साथ छेड़खानी और मारपीट की है.
लिहाजा आक्रोशित महिलाएं कलेक्टरेट पहुंच गईं और कार्रवाई की मांग करने लगी. पूरी घटना 21 दिसंबर की बतायी जा रही है. महिलाओं ने आरोप लगाया कि गंगालूर थाना क्षेत्र के कोरचोली में 21 दिसंबर, गुरुवार को एक वर्दीधारी माओवादी को ढेर करने के बाद इलाके में सर्चिंग कर रहे पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बल के जवानों ने सावनार, कोरचोली, और तोड़का की महिलाओं से बेरहमी के साथ मारपीट की और छेड़खानी की.
बस्तर में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों पर अक्सर कई महिलाएं ज्यादती और उत्पीड़न का आरोप लगाती हैं. यह भी देखा गया है कि ज्यादातर आरोप नक्सलियों के दिशानिर्देश के बाद लगाए जाते हैं. इसका मकसद राष्ट्रीय स्तर पर पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों को बदनाम करना और उनके मनोबल को तोड़ना होता है.
जांच में यह भी बात सामने आई है कि कई स्थानों पर सुरक्षाबलों ने महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया है. इस तरह के आरोप सिद्ध होने के बाद जवानों को दंडित भी किया गया है. लेकिन ज्यादातर मामलों में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों को झूठे आरोपों का सामना करना पड़ा है. इस तरह के आरोपों की जांच के लिए केंद्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम भी अक्सर बस्तर का दौरा करती है.
राज्य मानवाधिकार आयोग और महिला आयोग की टीम भी बस्तर के घने जंगलों के भीतर के गावों का दौरा कर पीड़ितों की गुहार सुनती है. कड़ी कारवाई के बावजूद इस तरह के मामले गाहे-बगाहे देखने को मिलते हैं. गंगालूर की इस घटना की सच्चाई भी जांच के बाद सामने आएगी. प्रशासन ने महिलाओं के आरोपों की पड़ताल शुरू कर दी है. जांच का जिम्मा एसडीएम को सौंपा गया है. बस्तर पुलिस अधीक्षक आरिफ शेख के मुताबिक पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों के जवान पहले की तुलना में अब बेहद सतर्क रहते हैं. उन्हें महिलाओं समेत आम ग्रामीणों से मेल-मुलाकात के दौरान शालीन व्यवहार करने के निर्देश दिए गए हैं और उसका पालन भी कराया जाता है. उनके मुताबिक महिलाओं के ताजा आरोपों की जांच रिपोर्ट जल्द ही सामने आएगी. उन्होंने पीड़ित महिलाओं को भरोसा दिलाया कि जांच निष्पक्ष होगी और दोषियों पर कार्रवाई भी होगी.