छत्तीसगढ़ की सियासत में सबसे चौंकाने वाली मुलाकात वर्ष 2018 के आखिरी दिन 31 दिसंबर को दर्ज हुई है. पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और उनकी पार्टी के तमाम नेताओं ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से बिलासपुर में मुलाकात की. एजेंडा था, नए जिले के निर्माण का. इसके लिए अजीत जोगी ने भूपेश बघेल को एक ज्ञापन भी सौंपा.
इस मुलाकात की तस्वीर को जिसने भी देखा उसने इस मुलाकात के मायने निकालने शुरू कर दिए. खबरों के पीछे की खबर राजनैतिक गलियारों से आ रही है, जिसमें कहा जा रहा है कि अजीत जोगी और भूपेश बघेल की मुलाकात किसी न किसी रहस्यमय मामले को लेकर बीच का रास्ता निकालने के लिए हुई है.
विधानसभा चुनाव से पहले तक छत्तीसगढ़ की राजनीति के दो बड़े केंद्र रहे भूपेश बघेल और अजीत जोगी की राजनीतिक दुश्मनी जग जाहिर है. दोनों की मुलाकात की चर्चा राजनेताओं के बीच दिनभर होती रहीं. दरअसल मुख्यमंत्री बनने के बाद भूपेश बघेल प्रदेश की राजनीति का सबसेबड़ा चेहरा बन गए हैं.
जोगी और भूपेश के बीच पिछले दो सालों से जमकर तल्खी भरे न केवल बयान मीडिया में सुर्ख़ियों में रहे, बल्कि भूपेश को चारों खाने चित्त करने के लिए जोगी खेमे ने साम, दाम, दंड, भेद का भरपूर उपयोग किया. चुनाव के बाद परिस्थितियां ऐसी बदलीं कि अजीत जोगी और उनके नेताओं को भूपेश बघेल की राह तकनी पड़ी. बिलासपुर में लंबे इंतजार के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जोगी खेमे से मुलाकात की.
यह मुलाकात बिलासपुर के छत्तीसगढ़ भवन में हुई. इस मुलाकात के दौरान अजीत जोगी ने भूपेश बघेल को सरकार बनाने के लिए जहां धन्यवाद दिया, वहीं उन्होंने पेंड्रा को जिला बनाए जाने की मांग भी रखी. इस दौरान अजीत जोगी की पत्नी और कोटा विधायक रेणु जोगी, लोरमी विधायक धर्मजीत सिंह और अमित जोगी भी मौजूद रहे. लगभग 5 मिनट की इस मुलाकात में नए जिले के निर्माण को लेकर अजीत जोगी ने भूपेश बघेल को बताया कि पिछले 15 सालों से वो इसके लिए भी संघर्ष कर रहे हैं.
इस मुलाकात के बाद जोगी ने तो मीडियाकर्मियों से चर्चा की लेकिन भूपेश बघेल ने पत्रकारों से दूरियां बनाए रखीं. जोगी खेमा इस मुलाकात को सामान्य शिष्टाचार करार दे रहे हैं जबकि राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलने के लिए जोगी परिवार को छत्तीसगढ़ भवन में एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा. जोगी आमतौर पर किसी का इंतजार इतना नहीं करते. उनके इस व्यवहार से राजनैतिक गलियारा गरमाया हुआ. राजनेताओं का यह भी कहना है कि दो तीन दिन बाद विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होना है.
जोगी चाहते तो उनकी मुलाकात विधानसभा के अंदर बाहर अच्छी तरह से हो सकती थी लेकिन उनका अचानक बिलासपुर जा कर भूपेश बघेल से मुलाकात करना किसी न किसी घटना को जोड़कर देखा जा रहा है. बहरहाल इस मुलाकात के कई कई मायने निकाले जा रहे हैं. हकीकत क्या हैं, इसका पतातो समय बताएगा लेकिन अजित जोगी और भूपेश बघेल की इस मुलाकात से दोनों नेताओं के रिश्तों में जमी बर्फ पिघलेगी यह कह पाना मुश्किल है.