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'रेप केसों में तुरंत जांच और आरोप-पत्र दायर हों'

बिहार की अदालतों में लंबित बलात्कार के मामलों के मद्देनजर राज्य मानवाधिकार आयोग ने एक अहम फैसला लिया है. ऐसे मामलों में पीड़ितों को जल्द इंसाफ दिलाने के मकसद से जिला पुलिस अधीक्षकों को ऐसे मामलों की जांच तुरंत पूरी कर जल्द से जल्द आरोप-पत्र दायर करने होंगे. ये निर्देश आयोग की तरफ से पुलिस महानिदेशक को दिया गया है.

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पटना
पटना

बिहार की अदालतों में लंबित बलात्कार के मामलों के मद्देनजर राज्य मानवाधिकार आयोग ने एक अहम फैसला लिया है. ऐसे मामलों में पीड़ितों को जल्द इंसाफ दिलाने के मकसद से जिला पुलिस अधीक्षकों को ऐसे मामलों की जांच तुरंत पूरी कर जल्द से जल्द आरोप-पत्र दायर करने होंगे. ये निर्देश आयोग की तरफ से पुलिस महानिदेशक को दिया गया है.

पटना जिले के बेलची गांव में बलात्कार की एक पीड़िता के मानवाधिकार हनन से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान बिहार मानवाधिकार आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने बलात्कार के मामलों में पीड़ितों को जल्द न्याय दिलाने के मकसद से जिला पुलिस अधीक्षकों को ऐसे मामलों की तुरंत जांच के साथ जल्द से जल्द आरोप-पत्र दायर करने के लिए आदेश निर्गत करने का निर्देश पुलिस महानिदेशक को दिया.

प्रसाद ने बताया कि यह मामला बेलची थाने के तहत एकदंगा गांव का है, जहां 10 अक्तूबर 2009 को देर शाम शौच के लिए जा रही एक 15 वर्षीय किशोरी के साथ पप्पू पासवान नामक एक युवक ने बलात्कार किया था. उन्होंने बताया कि पीड़िता के भाई प्रदीप कुमार पासवान ने आयोग में अर्जी दी है कि पुलिस ने संबंधित कांड की जांच ठीक ढंग से नहीं की और आरोपी के साथ मिलीभगत कर बाढ़ के तत्कालीन अनुमंडल चिकित्सा पदाधिकारी ने मेडिकल रिपोर्ट बदल दी.

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प्रसाद ने कहा कि जिला पुलिस अधीक्षक बलात्कार के मामलों को संजीदगी से लेते हुए ऐसे मामले में तुरंत प्राथमिक दर्ज कर बिना देरी किए पीड़िता की मेडिकल जांच और दंडाधिकारी के समक्ष भारतीय दंड संहिता की धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराए तथा आरोपियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करे.

न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि जिला पुलिस अधीक्षक बलात्कार के मामलों की जांच का जिम्मा पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी को सौंपे. उन्होंने कहा कि जांच अधिकारी साक्ष्यों, जैसे- पीड़िता के कपड़े और अन्य वस्तुओं को जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजे तथा मामले की जांच को एक महीने के भीतर पूरा कर उसके त्वरित निष्पादन के लिए अदालत में आरोप-पत्र समर्पित करे. उन्होंने कहा कि इस दौरान पीड़िता और उसके परिजनों को पुलिस आवश्यक सुरक्षा मुहैया कराए.

प्रसाद ने कहा कि जिला पुलिस अधीक्षक बलात्कार के मामलों की जांच और उसके ट्रायल की स्वयं निगरानी करें. उन्होंने बलात्कार को घृणित अपराध बताते हुए कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस और चिकित्सा पदाधिकारी आरोपी के साथ मिलीभगत कर मामले को रफा-दफा करने के बजाए अपनी जिम्मेवारी को समझते हुए पीड़िता को न्याय दिलाने तथा आरोपी को कानून के प्रावधानों के मुताबिक सजा दिलवाएं ताकि दूसरा कोई और ऐसी हरकत करने का दुस्साहस न करे.

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प्रसाद ने कहा कि यह समाज, प्रशासनिक और न्यायिक तीनों स्तंभ की सामूहिक जिम्मेवारी है कि बलात्कार जैसी घटना की पुनरावृत्ति न हो तथा हाल में दिल्ली में हुई सामूहिक बलात्कार की घटना को लेकर जिस प्रकार लोग आंदोलन के लिए विवश हुए ऐसी नौबत न आए.

 

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