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बच्चों के लिए दहशत बना ‘जापानी इंसेफेलाइटिस’

मानसून जहां देश के लोगों के लिए खुशहाली लेकर आती है, वहीं उत्तरप्रदेश के गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर और बिहार के मुजफ्फरपुर, वैशाली जैसे इलाकों में छोटे छोटे बच्चों में ‘जापानी इंसेफेलाइटिस’ के रूप में यह पिछले दो दशकों से अधिक समय से दहशत का प्रतीत बन गया है.

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मानसून जहां देश के लोगों के लिए खुशहाली लेकर आती है, वहीं उत्तरप्रदेश के गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर और बिहार के मुजफ्फरपुर, वैशाली जैसे इलाकों में छोटे छोटे बच्चों में ‘जापानी इंसेफेलाइटिस’ के रूप में यह पिछले दो दशकों से अधिक समय से दहशत का प्रतीत बन गया है. रोग के कारण स्थिति की गंभीरता के मद्देनजर मुजफ्फरपुर में जापानी इंसेफेलाइटिस पर केंद्रित विशेष राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान स्थापित करने की मांग की गयी है जहां इस साल इसके कारण अब तक छह वर्ष की आयु तक के 130 बच्चों की मौत हो चुकी है. इस रोग का प्रकोप सबसे अधिक मानसून के मौसम में देखा गया है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि जापानी इंसेफेलाइटिस के कारण पूर्वी उत्तरप्रदेश और बिहार विशेष तौर पर मुजफ्फरपुर में स्थिति गंभीर बन गई है. छोटे छोटे बच्चे इससे काफी प्रभावित हो रहे है और काफी संख्या में मौत के मामले सामने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्थिति गंभीर है और केंद्र सरकार इस पर विशेष ध्यान देने के साथ मुजफ्फरपुर में राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान स्थापित करे. केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने हाल ही में मुजफ्फरपुर में जापानी इंसेफेलाइटिस की गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त की और इसे सरकार की उच्च प्राथमिकता का विषय बताया.

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने रोग प्रभावित जिलों में 100 प्रतिशत टीकाकरण कार्यक्रम लागू करने को कहा है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हषर्वर्धन ने कुछ दिन पहले कहा था कि वह राज्य के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

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बीजेपी सांसद अश्विनी चौबे ने स्थिति को गंभीर बताते हुए कहा कि इस दिशा में केंद्र सरकार पहल कर रही है. बिहार के छात्रों के एक शिष्टमंडल ने दिल्ली में चौबे और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात कर जापानी इंसेफेलाइटिस के विषय को उठाया था. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस विषय पर सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के वैज्ञानिकों से सम्पर्क किया है. गोरखपुर से बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वह इस विषय को पिछले कई सालों से उठाते रहे हैं. जापानी इंसेफेलाइटिस के कारण क्षेत्र के लोगों को हर वर्ष काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसका स्थायी समाधान निकाले जाने की जरूरत है.

जापानी इंसेफेलाइटिस को आम बोलचाल की भाषा में ‘दिमागी बुखार’ कहा जाता है. यह बीमारी सबसे पहले जापान में 1870 में सामने आई जिसके कारण इसे ‘जापानी इंसेफेलाइटिस’ कहा जाने लगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया में विशेष तौर पर सुदूर पूर्व रूस और दक्षिण पूर्व एशिया में इस रोग के कारण प्रति वर्ष करीब 15 हजार लोग मारे जाते हैं.

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