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क्या सिर्फ झुग्गी-झोपड़ियों में फैलता है डेंगू? इस दावे में कितनी सच्चाई

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अक्सर लोगों को लगता है कि डेंगू का मच्छर गंदे स्थानों पर जमा पानी में होगा, जहां गंदगी होगी. इसलिए उनके साफ-सुथरे घर, सोसाइटी में यह नहीं आ सकता. लेकिन यह सच नहीं है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

डेंगू के बारे में सबसे बड़ा मिथक यही है कि लोग इसे गरीबों, झुग्गियों में रहने वाले लोगों की बीमारी समझते हैं. शहर की अच्छी सोसाइटियों, कालोनियों में रहने वाले लोग सोचते हैं कि उनका घर तो काफी साफ-सुथरा रहता है, तो भला उनके यहां डेंगू के मच्छर कैसे आ सकते हैं? यह एक बड़ा भ्रम है. सच्चाई तो यह है कि डेंगू के मच्छर ऐसी किसी भी जगह पैदा हो सकते हैं और ऐसा एक मच्छर भी किसी व्यक्ति को डेंगू का मरीज बनाने के लिए काफी है.

अक्सर लोगों को लगता है कि डेंगू का मच्छर गंदे स्थानों पर जमा पानी में होगा, जहां गंदगी होगी. इसलिए उनके साफ-सुथरे घर, सोसाइटी में यह नहीं आ सकता. लेकिन यह सच नहीं है. डेंगू का मच्छर हमारे घर के भीतर, हमारी सोसाइटी के आस-पास साफ पानी में पैदा होता है. इसका गंदगी से कोई मतलब नहीं है. डेंगू एक ऐसी बीमारी है जो एडीज इजिप्टी मच्छरों के काटने से होती है. डेंगू फैलाने वाली यह खलनायक यानी मच्छर आपके घर के भीतर के गमलों, कूलर, एसी में जमा साफ पानी में भी पैदा हो सकती है.

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काफी खतरनाक हो सकता है डेंगू

डेंगू बुखार बहुत ही दर्दनाक और अक्षम कर देने वाली बीमारी है. इस रोग में तेज बुखार के साथ शरीर पर चकत्ते बनने शुरू हो जाते हैं. इसमें मरीज के शरीर में दर्द बहुत ज्यादा होता है, इसलिए इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है. डेंगू की वजह से कई बार शरीर में पानी की कमी, लगातार शरीर से खून निकलना, प्लेटलेट्स घटना, रक्तचाप कम होना, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी, लीवर को क्षति पहुंचना इत्यादि बीमारियां होने लगती हैं.

बस एक ही मच्छर काफी है

डेंगू बीमारी को फैलाने के लिए ऐसा एक मच्छर ही काफी है. यह जरूरी नहीं कि आपको लगातार मच्छर काट रहे हों, या कई दिन तक मच्छर काटें तब जाकर बीमारी का संक्रमण हो.एक एडीज मच्छर का काटना ही आपके लिए भारी पड़ सकता है. एक केस स्टडी से समझते हैं कि किस तरह से थोड़ी-सी लापरवाही किसी व्यक्ति को डेंगू का शिकार बना सकती है.

जानिए साहिल की कहानी

साहिल अक्सर शाम में अपने घर की बॉलकनी में बैठकर मौसम का आनंद लिया करते थे. ऐसे में अक्सर उन्हें मच्छर भी काट लेते, लेकिन न तो कभी कुछ हुआ और न उन्होंने इसकी परवाह की. वे यही सोचते थे कि डेंगू का मच्छर तो रात में नहीं काटता है. पिछले साल मार्च की बात है. एक दिन शाम को उनको फीवर हो गया. उन्होंने इसे मामूली बुखार समझ कर घर में ही मौजूद दवा ली और सो गए. लेकिन अगले दिन भी बुखार नहीं उतरा और उन्हें तेज सिर दर्द भी होने लगा. तब उन्हें लगा कि कुछ गड़बड़ है. वे डॉक्टर के पास गए और टेस्ट करवाने पर पता चला कि उन्हें डेंगू है.

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एक वीक के अंदर उनकी हालत इतनी खराब हो गई कि उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ा. उनका प्लेटलेट्स काउंट 50 हजार से नीचे चल गया था. फीवर, बदन दर्द, सिर दर्द, उल्टी इतनी परेशानियां होने लगीं कि वे दुख से रो पड़ते. चार हफ्ते तक तो वे बिस्तर से उठ नहीं पाए. प्लेटलेट्स चढ़ाने पड़े. उनकी पूरी फैमिली बहुत परेशान थी. इसके बाद वे ठीक तो हो गए लेकिन शरीर में काफी दिन तक कमजोरी रही. इसके बाद से हालत यह है कि वे एक मच्छर से भी घबराते हैं. उन्हें यह सबक मिल गया है कि एक मच्छर को भी नजरअंदाज करना ठीक नहीं है और सावधानी ही डेंगू से बचाव है.

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