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Hepatic Ectopic Pregnancy: यूट्रस नहीं, लिवर में पल रहा था बच्चा! जानें कितनी खतरनाक होती है हेपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी

Hepatic Ectopic Pregnancy: 30 साल की एक प्रग्नेंट महिला पेट में तेज दर्द के कारण डॉक्टर के पास गई. एमआरआई स्कैन के बाद, डॉक्टर यह जानकर हैरान रह गए कि उसके गर्भाशय में नहीं, बल्कि उसके लिवर में 12 हफ्ते का बच्चा पल रहा है. चलिए जानते हैं इस स्थिति को क्या कहते हैं और ये कितनी खतरनाक है.

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क्या होती है हेपेटिक प्रेग्नेंसी (Photo: ITG)
क्या होती है हेपेटिक प्रेग्नेंसी (Photo: ITG)

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में एक चौंकान एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. 30 साल की एक प्रग्नेंट महिला पेट में तेज दर्द के कारण डॉक्टर के पास गई. एमआरआई स्कैन के बाद, डॉक्टर यह जानकर हैरान रह गए कि उसके गर्भाशय में नहीं, बल्कि उसके लिवर में 12 हफ्ते का बच्चा पल रहा है. इस कंडीशन को हेपेटिक एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहते हैं, जो बहुत ही ज्यादा रेयर है. 

आज हम इस आर्टिकल में हेपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के बारे में जानेंगे कि आखिर ये होती क्या है? ऐसा क्यों होता है? किसके साथ होता है? चलिए जानते हैं.

हेपेटिक एक्टोपिक प्रेगनेंसी क्या है?
आमतौर पर, प्रेग्नेंसी तब शुरू होती है जब एक फर्टिलाइज्ड एग (निषेचित अंडा) यूट्रस में पहुंचता है और वहां बढ़ता है. लेकिन एक्टोपिक प्रेगनेंसी में, एग/अंडा यूट्रस के बाहर इम्प्लांट होता है आमतौर पर फैलोपियन ट्यूब में. हेपेटिक एक्टोपिक प्रेगनेंसी में फर्टिलाइज्ड एग यूट्रस के बजाय लिवर से जुड़ जाता है. डॉक्टर्स के अनुसार, ये कंडीशन सभी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में केवल 0.03% मामलों में होती है और दुनिया भर में कई वर्षों में इसके दो दर्जन से भी कम मामले सामने आए हैं.

लिवर में बच्चा क्यों नहीं बढ़ पाता?
लिवर प्रग्नेंसी को सपोर्ट देने के लिए नहीं बना है. इसमें बच्चे के डेवलपमेंट के लिए ना तो उतनी जगह होती है और ना ही सही स्ट्रक्चर. इसके अलावा, लिवर में कई ब्लड सेल्स होते हैं, जो इसे खतरनाक बनाते हैं. अगर प्रेग्नेंसी जारी रहती है, तो इससे गंभीर ब्लीडिंग हो सकती है और महिला की जान को भी खतरा हो सकता है. यूपी वाले मामले में डॉक्टर्स ने महिला की जान बचाने के लिए तुरंत प्रेग्नेंसी तुरंत टर्मिनेट कर दी थी.

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लिवर में प्रेग्नेंसी का कारण क्या है?
यह रेयर समस्या तब होती है जब फर्टिलाइज्ड एग गलत रास्ता अपनाकर यूट्रस के बजाय एब्डोमिनल रीजन में चला जाता है. फिर ये लिवर से चिपक सकता है. इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें डैमेज्ड या ब्लॉक्ड फैलोपियन ट्यूब, पहले हुए पैल्विक इंफेक्शन या सर्जरी और आईवीएफ जैसे फर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स शामिल हैं. हालांकि, डॉक्टर्स का कहना है कि इस रेयर कंडीशन का सटीक कारण अभी भी पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है.

लिवर प्रेग्नेंसी के लक्षण?
लिवर प्रेग्नेंसी बहुत ही रेयर इसलिए इसके लक्षणों को अक्सर लिवर इंफेक्शन या गॉल ब्लैडर की समस्याओं जैसी अन्य हेल्थ प्रॉब्लम्स के संकेत समझा जाता है. इसके लक्षणों में पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में दर्द (लिवर के पास), वैजाइना से ब्लीडिंग या स्पॉटिंग, मतली या उल्टी, मिसकैरेज होने पर दर्द या अचानक दर्द शामिल हैं. इंटरनल ब्लीडिंग के चलते महिलाओं को चक्कर आना, बेहोशी और लो ब्लड प्रेशर की समस्या भी हो सकती है. ये लक्षण धीरे-धीरे डेवलप हो सकते हैं और इन्हें शुरुआत में पहचानना मुश्किल होता है.

कितनी खतरनाक है ये कंडीशन?
ये कंडीशन जितनी रेयर है उतनी ही खतरनाक भी है. ये महिला के लिए जानलेवा हो सकती है, क्योंकि लिवर में खून की बहुत सारी नाजुक और बड़ी नसें होती हैं. जब फीटस लिवर की सतह पर बढ़ने लगता है, तो वह इनमें से किसी नस को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे शरीर में गंभीर इंटरनल ब्लीडिंग हो सकती है, जो कि मरीज के जीवन को खतरे की स्थिति में डाल सकता है. इसके अलावा, लिवर जैसे जरूरी अंग से फीटस को हटाना सर्जरी के दौरान बहुत मुश्किल होता है. इसलिए इस रेयर कंडीशन का जल्दी पता लगाना और तुरंत इलाज शुरू करना बहुत जरूरी होता है, ताकि मरीज की जान बचाई जा सके.

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