Lungs Cancer Risk: क्या आपने कभी सोचा है कि फेफड़ों का कैंसर (लंग्स कैंसर) सिर्फ स्मोकिंग या प्रदूषण की वजह से ही होता है? अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं. ज्यादातर लोग यही मानते हैं, लेकिन नई रिसर्च ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया है. एक नई स्टडी में ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि आपकी रोज की खाने की प्लेट यानी आपका रोज के खाने में मौजूद कुछ चीजें भी फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती हैं.
यानी मामला सिर्फ हवा में मौजूद जहरीले कणों या सिगरेट के धुएं तक सीमित नहीं है आपकी प्लेट में रखे फूड्स भी आपके फेफड़ों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं. हैरानी की बात ये है कि इनमें से कई चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें हम ‘हेल्दी’ समझकर रोज खाते हैं. लेकिन रिसर्च बताती है कि इनमें मौजूद कुछ तत्व लंबे समय तक फेफड़ों के सेल्स को प्रभावित कर सकते हैं और कैंसर का जोखिम बढ़ा सकते हैं. इसलिए अब सिर्फ सांस लेने वाली हवा नहीं, बल्कि खाने वाली चीजें भी आपकी फेफड़ों की हेल्थ तय कर रही हैं. नई स्टडी ने लोगों का ध्यान इस ओर खींचा है कि हेल्दी खाना सिर्फ दिखने या सुनने में हेल्दी नहीं होना चाहिए बल्कि उसके असली असर को समझना भी उतना ही जरूरी है.
कार्बोहाइड्रेट और फेफड़ों के कैंसर का रिश्ता
Annals of Family Medicine में छपी एक नई स्टडी में कार्बोहाइड्रेट यानी कार्ब्स पर फोकस किया गया है. भारत में ज्यादातर लोगों की डाइट कार्ब्स से भरी होती है जैसे चावल, रोटी, मिठाइयां और मैदा से बनी चीजें. इसी वजह से ये रिसर्च भारतीयों के लिए और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है. स्टडी ने ये साफ किया कि कार्ब्स की मात्रा से ज्यादा ये मायने रखता है कि आप किस तरह के कार्ब्स खा रहे हैं.
स्टडी में क्या पाया गया?
अमेरिका में हुए एक बड़े ट्रायल के डेटा को सालों तक स्टडी किया गया. इस दौरान 1,700 से ज्यादा लोगों को फेफड़ों का कैंसर हुआ और रिसर्चर्स ने उनकी डाइट और हेल्थ हैबिट्स को ध्यान से ट्रैक किया. उन्होंने खास तौर पर ये देखा कि हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स यानी हाई-GI फूड्स जैसे सफेद चावल, मैदा और ज्यादा मीठे फूड्स खाने का शरीर पर क्या असर पड़ता है. ऐसे फूड्सब्लड शुगर को तेजी से बढ़ाकर लंग कैंसर का जोखिम बढ़ाते हैं. स्टडी में ये भी देखा गया कि जिन लोगों की डाइट में लो-GI कार्ब्स ज्यादा थे, उनमें कैंसर का जोखिम कम था. इसका मतलब ये है कि सिर्फ कार्ब्स की मात्रा नहीं, बल्कि उनकी क्वालिटी भी बहुत जरूरी है.
हाई-GI खाना क्यों हो सकता है खतरनाक?
हाई-GI फूड्स शरीर में ब्लड शुगर और इंसुलिन को तेजी से बढ़ाते हैं. जब ऐसा रोज-रोज होता है, तो शरीर में कुछ हार्मोनल बदलाव शुरू हो जाते हैं, खासकर IGF-1 नाम का हार्मोन बढ़ने लगता है. ये हार्मोन सेल्स की ग्रोथ को तेज करता है और वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर ये प्रोसेस लंबे समय तक चली, तो ये कैंसर सेल्स को बढ़ने में मदद कर सकती है. दूसरी ओर, लो-GI कार्ब्स शरीर को स्टेबल एनर्जी देते हैं और ऐसा उतार-चढ़ाव नहीं होने देते.
स्मोकिंग अभी भी सबसे बड़ा कारण
भले ही ये स्टडी डाइट और लंग कैंसर के बीच एक दिलचस्प रिश्ता दिखाती है, लेकिन वैज्ञानिकों ने साफ कहा है कि फेफड़ों के कैंसर के 85% मामलों की वजह अब भी स्मोकिंग ही है. डाइट इसमें एक सपोर्टिंग फैक्टर के तौर पर काम करती है, पर मुख्य कारण नहीं है. इसलिए स्मोकिंग छोड़ना और प्रदूषण से बचना अभी भी इससे बचने के लिए उठाए जाने वाले सबसे जरूरी कदम हैं.
भारतीयों के लिए क्यों ज्यादा मायने रखती है ये रिसर्च?
भारत में लोगों की डाइट में करीब 62% हिस्सा कार्ब्स का होता है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है. ऊपर से ये कार्ब्स ज्यादातर रिफाइंड रूप में खाए जाते हैं जैसे सफेद चावल, मैदा, चीनी और पैक्ड फूड्स. कई भारतीय मरीज ऐसे भी होते हैं जो कभी स्मोकिंग नहीं करते, फिर भी लंग कैंसर का शिकार हो जाते हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि इसका एक कारण ये भी हो सकता है कि ज्यादा कार्ब्स शरीर में लगातार इंफ्लेमेशन यानी सूजन बढ़ाते हैं, जो कई बीमारियों की जड़ है.
डाइट में क्या बदलाव जरूरी?
डॉक्टरों की सलाह है कि रोजाना की डाइट में रिफाइंड चीजों को कम किया जाए. सफेद चावल, मैदा से बनी चीजें, ज्यादा मीठा और प्रोसेस्ड फूड शरीर में शुगर बढ़ाकर नुकसान कर सकते हैं. इसके बजाय दालें, सब्जियां, मिलेट्स, ब्राउन राइस और फलों को ज्यादा शामिल करना फायदेमंद हो सकता है. वजन को कंट्रोल में रखना और अच्छी क्वालिटी के कार्ब्स खाना शरीर को कई तरह के कैंसर से बचा सकता है.