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फैक्ट चेक: नागालैंड में रेप के आरोपी की मॉब लिंचिंग के बाद वहां दुष्कर्म की घटनाएं बंद होने का दावा है गलत

आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि साल 2015 में नागालैंड के दीमापुर में दुष्कर्म के एक आरोपी पर भीड़ ने सचमुच हमला कर दिया था, जिसमें उसकी जान चली गई थी. लेकिन ये कहना गलत होगा कि इस घटना के बाद से वहां दुष्कर्म का कोई मामला सामने नहीं आया है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
साल 2015 में नागालैंड में दस हजार लोगों की भीड़ ने एक बलात्कारी को जिंदा जला दिया था. तबसे आज तक वहां बलात्कार की कोई घटना नहीं हुई है. 
सोशल मीडिया रिजल्ट्स
सच्चाई
ये बात सच है कि नागालैंड में 2015 में बलात्कार का एक आरोपी मॉब लिंचिंग का शिकार हुआ था जिसमें उसकी जान चली गई थी. लेकिन उसके बाद राज्य में दुष्कर्म की कोई घटना न होने की बात पूरी तरह गलत है.

कोलकाता रेप-मर्डर केस को लेकर सड़क से सोशल मीडिया तक लोगों का गुस्सा देखने को मिल रहा है. वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो देश में दुष्कर्म की घटनाएं बंद करवाने का फॉर्मूला सुझा रहे हैं.

ऐसा कहा जा रहा है कि नागालैंड में नौ साल पहले एक बलात्कारी को दस हजार लोगों की भीड़ ने जिंदा जलाकर चौराहे पर टांग दिया था. तब से आज तक वहां दुष्कर्म की कोई घटना नहीं हुई है. यानी, ये सलाह दी जा रही है कि देश में जहां कहीं भी रेप की घटना हो, वहां आरोपियों के साथ यही सुलूक करना चाहिए.

ऐसा कहने वाले एक पोस्टकार्ड  शेयर कर रहे हैं जिस पर लिखा है, "एक बार में बालात्कार बंद की गारंटी! 2015 नागालैंड में एक नागा लड़की के साथ किसी ने दुष्कर्म किया, आरोपी को जेल में बंद किया गया लेकीन 10 हजार लोगों की गुस्साई भीड़ ने आरोपी को जेल से बाहर निकाला. कपड़े उतार कर उसे सड़को पर घुमाया, उसे जलाया, फिर चौराहे पर टांग दिया. तब से आज तक नागालैंड में बलात्कार की घटना नहीं हुई. सिर्फ एक बार ये घटना हमारे देश के किसी बड़े शहर में घट जाए, रेप होने बंद हो जाएंगे. तुम्हारे मोमबत्ती के पैसे भी बच जाएंगे. ऐसा होना चाहिए या नहीं?"

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फैक्ट चेक

 

ऐसे ही एक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां  देखा जा सकता है.

 

आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि साल 2015 में नागालैंड के दीमापुर में दुष्कर्म के एक आरोपी पर भीड़ ने सचमुच हमला कर दिया था, जिसमें उसकी जान चली गई थी. लेकिन ये कहना गलत होगा कि इस घटना के बाद से वहां दुष्कर्म का कोई मामला सामने नहीं आया है.

 

4000 लोगों की भीड़ ने किया था हमला

 

कीवर्ड सर्च के जरिये हमें साल 2015 की 'बीबीसी' की एक रिपोर्ट मिली, जिसमें नागालैंड में 2015 में दुष्कर्म के एक आरोपी के साथ हुई मॉब लिंचिंग के बारे में बताया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले के आरोपी सैयद शरीफ खान पर 19 वर्षीय आदिवासी महिला से दुष्कर्म का आरोप लगा था.

'द टाइम्स ऑफ इंडिया' के अनुसार, तकरीबन चार हजार लोगों की भीड़ ने दीमापुर की एक हाई सिक्योरिटी जेल में बंद सैयद को जेल तोड़कर वहां से निकाला था और बुरी तरह पीटा था. साथ ही, उसके कपड़े उतार कर परेड भी कराई थी. इस घटना में सैयद की जान चली गई थी.

यहां तक कि प्रदर्शनकारियों ने कई वाहन जला दिए थे और गैर-नागा लोगों की दुकानें तोड़ दी थीं. हालात इतने बिगड़ गए थे कि दीमापुर जिले में कर्फ्यू लगाना पड़ा था.

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घटना के बाद आरोपी के परिवार ने उसके निर्दोष होने का दावा किया था. वहीं, मामले की पीड़िता ने आरोप लगाया था  कि आरोपी ने उसे दुष्कर्म के बारे में​ किसी को न बताने के एवज में उसे पांच हजार रुपये दिए थे.

 

मेडिकल में नहीं हुई थी रेप की पुष्टि

 

इस मामले में लड़की की मेडिकल जांच हुई थी, तो उसमें रेप की पुष्टि नहीं हुई थी. नागालैंड सरकार की रिपोर्ट में भी उस लड़की और आरोपी सैयद खान के बीच आपसी सहमति से संबंध बनने की संभावना जताई गई थी. सितंबर, 2015 में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने ये मामला सीबीआई को सौंप दिया था.

नागालैंड में घटे हैं दुष्कर्म के मामले

ये कहना गलत होगा कि नागालैंड में सैयद वाले मामले के बाद से दुष्कर्म होने बंद हो गए. हालांकि इतनी बात सच है कि 2015 के बाद से वहां दुष्कर्म के मामले घटे हैं. 'नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो' (एनसीआरबी) के आंकड़ों के आधार पर बनाए गए इस ग्राफ से ये बात अच्छी तरह समझी जा सकती है.

फैक्ट चेक

 

एनसीआरबी के मुताबिक, नागालैंड में साल 20132014 और 2015 में  31, 32 और 35 महिलाएं बलात्कार की शिकार हुई थीं.

वहीं, 2016 में 26, 2017 में 10 और 2018 में 11 महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ था. 

 

साल 2022 में भारत में 31 हजार से भी ज्यादा महिलाएं दुष्कर्म की शिकार हुईं. इनमें सबसे ज्यादा संख्या राजस्थान की (5408) और सबसे कम संख्या नागालैंड की (7) महिलाओं की थी.  

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