सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें सैनिक की वर्दी में कुछ जवान एक व्यक्ति को बुरी तरह पीट रहे हैं. जवान जिस व्यक्ति को पीट रहे हैं वह कुर्ता पायजामा पहने हुए है और सिर पर टोपी लगाए हुए है. इस वीडियो के बारे में दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो कश्मीर का है जहां भारतीय सेना कश्मीरी मुस्लिमों को प्रताड़ित कर रही है.
what a progress of Kashmiris after Article 370.
Yahan Hindustan main Musalmano ke liye Andha Kanoon hain.
Please send this to all the people you know around the world to show them what the Indian ARMY is doing to the kashmiri Muslims. pic.twitter.com/U4V2l7OxU3
— Anwar Khan (@AnwarKh88377871) September 16, 2019
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल हो रहा यह वीडियो पाकिस्तान का है और करीब नौ साल पुराना है. यह वीडियो फेसबुक और ट्विटर पर खूब वायरल हो रहा है.
वीडियो के कैप्शन में लिखा गया है, “कृपया इसे अपने आसपास के लोगों को यह दिखाने के लिए भेजें कि भारतीय सेना कश्मीरी मुसलमानों के साथ क्या कर रही है.”
AFWA की पड़ताल
वीडियो के साथ किए जा रहे दावे को जांचने के लिए हमने वीडियो को कई की-फ्रेम्स में तोड़ा और उनमें से एक को रिवर्स सर्च किया. हमने पाया कि जो वीडियो वायरल हो रहा है वह military.com नाम की एक वेबसाइट पर भी मौजूद है. इस वेबसाइट पर वीडियो के कैप्शन में लिखा है, “वॉर्निंग ग्राफिक: तालिबान में फजलुल्लाह (Mullah FM) का सहयोगी जो स्वात में अपना आपराधिक कानून चलाता है.”
यह वीडियो इस चेतावनी के साथ शुरू होता है कि 'पाकिस्तान निर्दोष पश्तूनों से बिना अदालत और ट्रायल के इस तरह पूछताछ करता है.' यह वीडियो इस वेबसाइट पर 9 मार्च, 2011 को अपलोड किया गया था, लेकिन इस वीडियो के पीछे की स्टोरी अब भी सामने नहीं आ सकी.
इस वेबसाइट जो लीड मिली, उसके सहाने हमने गूगल सर्च किया. कीवर्ड्स 'Pakistan army beating Pashtuns swat' डालकर सर्च करने पर हमें aljazeera.com पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली जिसमें इसी वीडियो के स्क्रीनशॉट्स का इस्तेमाल किया गया है और घटना के बारे में विस्तार से बताया गया है.
2 अक्टूबर, 2009 को प्रकाशित इस खबर के मुताबिक, इस वीडियो में पाकिस्तान की सेना के जवान एक आदमी को पीट रहे हैं जिस पर संदेह है कि उसका संबंध तालिबान से है.
इस खबर में उस समय के पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल अथर अब्बास का बयान भी है, जिन्होंने कहा था कि सेना इस कथित प्रताड़ना की जांच कर रही है. हालांकि, रिपोर्ट यह भी कहती है कि यह स्पष्ट नहीं है कि यह वीडियो कहां और कब शूट किया गया और कितना प्रामाणिक है.
इस तरह स्पष्ट हुआ कि वायरल हो रहा वीडियो करीब 9 साल पुराना है और पाकिस्तान का है. इसका कश्मीर से कोई लेना देना नहीं है.