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फैक्ट चेक: जावेद अख्तर ने शेयर की पुलिस बदसूलकी की 4 साल पुरानी तस्वीर

बॉलीवुड गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर का रविवार को एक ट्वीट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ. इस ट्वीट में जावेद ने तीन तस्वीरें शेयर कीं. इन तस्वीरों में एक पुलिसकर्मी एक बुजुर्ग के साथ बदसूलकी करता नज़र आ रहा है. जानिए वायरल पोस्ट की सच्चाई.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
पुलिसकर्मी ने बुज़ुर्ग के साथ बदसलूकी की और टाइपराइटर तोड़ कर उसकी रोजीरोटी छीन ली है.
बॉलीवुड गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर
सच्चाई
ये मामला चार साल पुराना है और उत्तर प्रदेश के लखनऊ का है.

बॉलीवुड गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर का रविवार को एक ट्वीट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ. इस ट्वीट में जावेद ने तीन तस्वीरें शेयर कीं. इन तस्वीरों में एक पुलिसकर्मी एक बुजुर्ग शख्स के साथ बदसूलकी करता नज़र आ रहा है. तस्वीरों में पुलिसकर्मी हाथ जोड़े खड़े बुजुर्ग के सामने जमीन पर रखी किसी चीज पर लात मारता हुआ दिखाई दे रहा है.

जावेद अख्तर के ट्वीट में दावा किया गया है कि ये बुजुर्ग अपने टाइपराइटर से बेरोज़गार लोगों के लिए नौकरी के आवेदन टाइप करता था. पुलिसकर्मी ने बुजुर्ग का टाइपराइटर तोड़कर उसकी रोजी-रोटी छीन ली. पोस्ट में बुजुर्ग को एक टाइपराइटर के साथ देखा जा सकता है.

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ट्वीट का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है.

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम (AFWA) ने अपनी पड़ताल में पाया कि ये तस्वीरें चार साल पुरानी घटना की है जो उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुई थी. इस प्रकरण में उत्तर प्रदेश सरकार ने संबंधित पुलिसकर्मी के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की थी.

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जावेद अख्तर का ट्वीट सोशल मीडिया पर तेजी से शेयर हो रहा है. फेसबुक पर भी लोग इसे शेयर कर रहे हैं.

तस्वीरों को रिवर्स सर्च करने पर हमें सितंबर 2015 की कुछ न्यूज़ रिपोर्ट्स मिलीं, जिसमें इस घटना के बारे में बताया गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक बुज़ुर्ग का नाम कृष्णा कुमार था जो लखनऊ के जनरल पोस्ट ऑफिस के बाहर अपने टाइपराइटर के सहारे रोजी रोटी कमाते थे.

19 सितंबर 2015 को सब इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार ने 65 साल के कृष्णा से जगह खाली करने की बात कही जिसका कृष्णा कुमार ने विरोध किया. इसके बाद पुलिसकर्मी ने कृष्णा से गाली गलौज की और टाइपराइटर को लात मारकर तोड़ दिया. उस समय कुछ स्थानीय पत्रकारों ने इस घटना की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की थीं.

मामले के तूल पकड़ने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने संबंधित पुलिसकर्मी के निलंबन आदेश जारी किए थे. पुलिसकर्मी की बदसलूकी पर लखनऊ डीएम और एसएसपी ने कृष्णा कुमार से माफ़ी मांगी और उन्हें एक नया टाइपराइटर भी भेंट किया था.

यहां पर ये बात साफ़ होती है कि जावेद अख्तर के ट्वीट में बताई गई घटना तो सच है लेकिन ये हाल फिलहाल की नहीं चार साल पुरानी यानि 2015 की है.

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