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धर्म, जाति और लिंग का कमाई से क्या कनेक्शन? Oxfam की स्टडी में दिखा बड़ा अंतर

ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि भारत में धर्म, जाति और लिंग के आधार पर अब भी काफी भेदभाव है. मुस्लिमों की तुलना में गैर-मुस्लिम, महिलाओं की तुलना में पुरुष और दलित-आदिवासियों की तुलना में सामान्य वर्ग के लोगों की कमाई ज्यादा है. मुस्लिमों की तुलना में गैर-मुस्लिम 7 हजार रुपये ज्यादा कमाते हैं.

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धर्म, जाति और लिंग के आधार पर कमाई में भेदभाव है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
धर्म, जाति और लिंग के आधार पर कमाई में भेदभाव है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

भारत में अलग-अलग जाति, अलग-अलग धर्म और अलग-अलग लिंग के आधार पर अभी भी कितना भेदभाव है, इसका अंदाजा ऑक्सफैम इंडिया की नई रिपोर्ट से लगाया जा सकता है. ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे लोगों की जाति, धर्म और लिंग उनकी कमाई तय करती है. 

ऑक्सफैम इंडिया ने 'इंडिया डिस्क्रिमिनेशन रिपोर्ट 2022' जारी की. इस रिपोर्ट के मुताबिक, सामान्य वर्ग से आने वाले लोग अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लोगों की तुलना में हर महीने 5 हजार रुपये ज्यादा कमाते हैं. वहीं, मुस्लिमों की तुलना में गैर-मुस्लिमों की हर महीने की कमाई 7 हजार रुपये ज्यादा है. इसी तरह महिलाओं की तुलना में पुरुष 4 हजार रुपये महीना ज्यादा कमाते हैं.

ऑक्सफैम के रिसर्चरों ने 2004 से 2020 तक अलग-अलग समूहों में जॉब, वेजेस, हेल्थ और कृषि ऋण तक पहुंच पर सरकारी आंकडों को देखने के बाद ये रिपोर्ट तैयार की है.

इस रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में मुसलमानों की कमाई में 13% की कमी आई है, जबकि दूसरे समुदायों की कमाई में 9% के आसपास की गिरावट आई. ग्रामीण इलाकों में ही खुद का काम करने वाले मुसलमानों की कमाई में भी 18% की कमी आई, जबकि SC/ST और दूसरे समुदायों में ये गिरावट 10% से भी कम थी.

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SC/ST और सामान्य वर्ग की कमाई में कितना अंतर?

रिपोर्ट में कहा गया है कि दलित और आदिवासियों के अलावा मुस्लिमों को भी जॉब और कृषि ऋण पाने में भेदभाव का सामना करना पड़ता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, शहर में SC और ST समुदाय के नियमित कर्मचारियों की औसत कमाई 15,312 रुपये है, जबकि सामान्य वर्ग से जुड़े लोगों की कमाई 20,346 रुपये है. इसका मतलब हुआ कि सामान्य वर्ग के लोग SC/ST समुदाय के लोगों से 33 फीसदी ज्यादा कमाते हैं.

इसी तरह खुद का काम करने वाले सामान्य वर्ग के लोगों की महीने की कमाई 15,878 रुपये है, जबकि SC/ST समुदाय के लोगों की कमाई 10,533 रुपये है. यानी, सामान्य वर्ग की कमाई एक तिहाई ज्यादा है.

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि SC/ST समुदाय से होने के बावजूद खेतीहर मजदूरों को कृषि ऋण लेने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इन्हें अगर लोन मिल भी जाता है, तो वो सामान्य वर्ग की तुलना में एक चौथाई कम होता है.

मुस्लिम और गैर-मुस्लिम की कमाई में कितना अंतर?

रिपोर्ट के मुताबिक, गैर-मुस्लिमों की तुलना में मुसलमानों को सैलरीड जॉब या खुद का काम करने पर भी कमाई करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

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शहरी इलाकों में रेगुलर जॉब्स में गैर-मुस्लिम हर महीने 20,346 रुपये तो मुस्लिम 13,672 रुपये कमाते हैं. इसका मतलब हुआ कि मुस्लिमों की तुलना में गैर-मुस्लिमों की कमाई 1.5 गुना ज्यादा है.

इसी तरह खुद का काम करने वाले गैर-मुस्लिम महीने की औसतन 15,878 रुपये कमाई करते हैं, जबकि मुसलमान 11,421 रुपये ही कमा पाते हैं. यानी, मुस्लिमों के मुकाबले गैर-मुस्लिम एक तिहाई ज्यादा कमाते हैं.

ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर ने कहा कि समाज में भेदभाव कई तरह से है. सिर्फ सामाजिक भेदभाव ही नहीं है, बल्कि आर्थिक रूप से भी भेदभाव है, जिसके गंभीर परिणाम होते हैं.

 

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