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कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी क्या है जो पहलगाम हमले के बाद देश का अगला बड़ा कदम तय करेगी?

जब देश की सुरक्षा पर खतरा आता है, तब सबकी नजर दिल्ली की एक खास कमेटी पर जाती है. इसका नाम है कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस). यही कमेटी तय करती है कि अब क्या करना है, सेना भेजनी है, कूटनीतिक तरीका अपनाना है, खुफिया एजेंसियों को जिम्मा देना है, या बैकचैनल रास्ता भी हो सकता है.

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पहलगाम में आतंकी हमले के बाद से पाकिस्तान कटघरे में है. (Photo- AP)
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद से पाकिस्तान कटघरे में है. (Photo- AP)

कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद  देश पाकिस्तान पर लगाम कसने के लिए एक के बाद एक बड़े फैसले ले रहा है. आगे की रणनीति बनाने के लिए दिल्ली में एक खास बॉडी काम शुरू कर चुकी, जिसका नाम है- कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस). खुद प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं. अक्सर खुफिया ढंग से फैसले लेने वाली कमेटी पहले भी कई बड़े काम कर चुकी. 

पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी एक्टिव हो चुकी है. सीसीएस तभी काम शुरू करती है, जब कोई बड़ा आतंकी हमला हो, सीमा पर तनाव बढ़े, कोई रणनीतिक फैसला लेना हो, या फिर किसी देश से संबंध बिगड़ने की नौबत आ जाए. अक्सर गुप्त तरीके से काम करने वाली कमेटी का संविधान में कोई जिक्र नहीं, इसके बावजूद यह भारत सरकार की सबसे अहम समितियों में से रही. जानें, क्या है सीसीएस, कौन होता है इसमें और अब तक किस तरह के फैसले ले चुकी. 

कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी क्या है

सीसीएस एक खास सरकारी टीम है, जिसकी अगुवाई पीएम करते हैं. यह टीम देश की सुरक्षा, सेना से जुड़े फैसले, और सुरक्षा पर होने वाले खर्चों के बारे में अहम बातचीत और फैसले लेती है. प्रधानमंत्री के साथ इसमें रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री और विदेश मंत्री शामिल होते हैं. 

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Cabinet Committee On Security actions after Pahalgam Attack in kashmir photo AP

कंस्टीट्यूशन में इसकी चर्चा नहीं मतलब यह एक्स्ट्रा-कंस्टीट्यूशनल बॉडी है. बगैर संवैधानिक उल्लेख के भी यह सरकार के कामकाज का अहम हिस्सा है. इस तरह की कमेटियां इसलिए बनाई जाती हैं ताकि कैबिनेट पर काम का बोझ कम रहे, और जरूरी या अर्जेंट मुद्दों पर जल्द से जल्द फैसले लिए जा सकें. ये कमेटी कुछ खास मामलों में ही सक्रिय होती है, जैसे डिफेंस और आंतरिक सुरक्षा में बड़े फैसले. जब नई सरकार बनती है या कैबिनेट में फेरबदल हो, तब इन इसे फिर से बनाया जाता है. सुरक्षा के अलावा कई बड़े मसलों पर भी कैबिनेट कमेटियां बनती हैं, जैसे इकनॉमी, या फिर अचानक आई आपदा, जैसे कोविड महामारी या कोई कुदरती कहर. 

कैसी बनती है सीसीएस

पीएम तय करते हैं कि इसका सदस्य कौन होगा, कौन से मंत्री शामिल होंगे. और हर कमेटी किसपर काम करेगी. सदस्यों की संख्या वैसे तो बेहद कम होती है, लेकिन कई मामलों में ये बढ़ भी सकती है. वैसे हर कैबिनेट कमेटी में आमतौर पर 3 से 8 सदस्य होते हैं. जैसा कि नाम से जाहिर है, कैबिनेट मिनिस्टर ही इसके सदस्य होते हैं लेकिन कई बार इससे बाहर के लोग भी इसमें शामिल हो सकते हैं. 

कुल कितनी कैबिनेट कमेटियां 

कुल आठ कमेटियां इस समय अलग-अलग मुद्दों पर काम कर रही हैं. इनमें आर्थिक मामलों की कमेटी, राजनीतिक मामलों पर, सुरक्षा और संसदीय मामलों की कमेटियां अलग-अलग हैं. इन सभी कमेटियों की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं, सिवाय दो के, सरकारी आवास से जुड़ी संस्था और कैबिनेट कमेटी ऑन पार्लियामेंटरी अफेयर्स. इन्हें आमतौर पर दूसरे मंत्री संभालते हैं. 

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Cabinet Committee On Security actions after Pahalgam Attack in kashmir photo PTI

सिक्योरिटी कमेटी का क्या काम

यह देश की बाहरी और अंदरुनी सुरक्षा से जुड़े मामलों पर फैसले लेती है. इसका काम है नीतियां बनाना, मुद्दों को सुलझाना और जरूरत पड़ने पर पूरी कैबिनेट को सुझाव देना. वैसे तो कमेटी अपने में बेहद ताकतवर है लेकिन कैबिनेट चाहे तो इसके फैसलों को रिव्यू भी कर सकती है. डिफेंस के तहत सेना से जुड़ी पॉलिसीज भी ये देखती रही. इसमें हथियारों की खरीद से लेकर अपनी डिफेंस लाइन लंबी करना और अचानक आ पड़े मौके पर उतनी ही तेजी से फैसले लेना भी शामिल है. देश की खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा बलों के बीच आपसी तालमेल बनाए रखना भी इसका जिम्मा है. 

अभी कौन से निर्णय ले चुकी सीसीएस

पहलगाम आतंकी हमले के बाद कमेटी ने तुरंत ही कई बड़े फैसले लिए. इसके तहत पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक संबंध और सीमित हुए. सिंधु जल संधि को अस्थाई तौर पर रोक दिया गया. पाकिस्तानी राजनयिकों और नागरिकों को तय समय के भीतर देश छोड़ने को कहा गया है.

इससे पहले साल 2019 में पुलवामा अटैक के बाद भी सीसीएस ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक का निर्णय लिया था. साल 2016 में उरी में सेना के कैंप पर आतंकी हमले के बाद कमेटी ने पीओके में आतंकी ठिकानों पर हमले किए. 

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बाकियों के क्या काम

- एकॉमोडेशन कमेटी ये देखती है कि सरकारी मकान किसे मिलेगा. जरूरत पड़ने पर ये सरकारी दफ्तरों को राजधानी से बाहर शिफ्ट करने जैसे बड़े फैसले भी ले सकती है. 

- अपॉइंटमेंट्स कमेटी के हिस्से बेहद अहम पदों की नियुक्तियां हैं. इसमें सेना के तीनों प्रमुख भी शामिल हैं. 

- इकनॉमिक अफेयर्स कमेटी का काम आर्थिक स्थिति और नीतियों पर नजर बनाए रखना है. बड़े निवेशों पर निर्णय यही संस्था लेती है. 

- संसद में सेशन कब होंगे, कौन से बिल पेश होंगे, ये काम पार्लियामेंट्री अफेयर्स कमेटी देखती है. 

- पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी भी है, जिसका काम है केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल बनाए रखना. 

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