यूरोपीय देशों में इस समय सेक्स वर्करों को काफी विवाद चल रहा है. एक के बाद एक कई देश यौन व्यापार को वैध रूप देने की कोशिश में है. कुछ वक्त पहले इटली में चर्चा हुई, और अब फ्रांस भी इसके लिए विधेयक लाने में जुटा है. यूरोप में कई देशों में सेक्स वर्क प्रतिबंधित है. दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद महिलाओं का शोषण रोकने के लिए इस तरह के कानून बने, जहां सेक्स वर्करों को तो नहीं, लेकिन ग्राहकों को सजा मिलने लगी ताकि ये काम बंद हो सके.
क्या कह रही है पार्टी
चुनावों में बड़ी ताकत दिखा चुकी नेशनल रैली पार्टी एक बिल ला सकती है, जिसका मसौदा ज़ां फिलिप टैंगी ने बनाया है. यह सेक्स वर्करों को अपना काम खुद चलाने की अनुमति देगा. यानी बीच में कोई दलाल नहीं होगा और काम और उससे मिले पैसों का पूरा कंट्रोल काम करने वालों के हाथ में होगा. ये इसलिए होगा ताकि कोई उनका शोषण न कर सके.
समर्थकों का कहना है कि अगर यह काम नियमों के तहत किया जाएगा, तो अवैध सेक्स रैकेट कम होंगे और सेक्स वर्कर्स की सुरक्षा और हाइजीन तय हो सकेगी.
फ्रांस में ब्रॉथल्स का लंबा इतिहास रहा. उन्हें साल 1946 में बंद कर दिया गया. यह फैसला मार्थे रिचर्ड कानून के तहत लिया गया था, जो पहले खुद सेक्स वर्कर थीं और बाद में राजनीति में आईं. इस काम में महिलाओं का शोषण रोकना और ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर लगाम कसना मकसद था. उस समय फ्रांस में कई ब्रॉथल ऐसे थे जहां महिलाओं को मजबूरन काम कराया जाता था. ये जगहें हिंसा और बीमारियों का अड्डा बनी हुई थीं.

दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोसायटी में बदलाव और महिला सुरक्षा पर खूब बात हुई . मार्थे रिचर्ड जोर-शोर से अपने मुद्दे उठा रही थीं. आखिरकार अप्रैल 1946 में कानून पास हुआ और लगभग 1400 से ज्यादा ब्रॉथल्स बंद कर दिए गए. वैसे ये सभी 19वीं सदी से सरकार की निगरानी में चल रहे थे, लेकिन कानून के बाद इन्हें पूरी तरह खत्म कर दिया गया.
तो क्या सेक्स वर्क अवैध है
फ्रांस में कानून सेक्स वर्कर को काम करने से नहीं रोकता, यानी कोई महिला या पुरुष अपनी मर्जी से यह काम कर सकता है लेकिन ग्राहक को सजा दी जाती है. सेक्स वर्कर की सर्विस लेने वाले ग्राहक पर करीब 1.4 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है. यानी देश का सिस्टम सेक्स वर्क को सीधे बैन नहीं करता लेकिन उसे कमजोर करने के लिए भारी जुर्माने लगाता है.
तब नए कानून की जरूरत क्यों पड़ गई
विधेयक लाने की बात कर रहे दल का कहना है कि सेक्स वर्कर बयान न दे सके, इसके लिए उसपर भारी हिंसा होती है. मारपीट आम है, वहीं कई बार हत्या तक कर दी जाती है. दल के मुताबिक, बहुत-सी सेक्स वर्कर खुद चाहती हैं कि इस पेशे को वैध बनाया जाए ताकि सेफ्टी पक्की हो सके. साथ ही जो विदेशी महिलाएं इस ट्रैप में हैं, उन्हें उनके देश भेजने की बात भी हो रही है ताकि मानव तस्करी की चेन टूट सके.
लेकिन इस बिल के विरोधी भी हैं. फर्स्ट पोस्ट की रिपोर्ट में सेक्स वर्कर्स की मदद करने वाले संगठनों का जिक्र हैं, जिनका कहना है कि सेक्स वर्क को दोबारा कानूनी रूप कतई नहीं देना चाहिए.
फ्रांस अकेला देश नहीं जहां ब्रॉथल दोबारा खोलने पर बहस चल रही है. इटली में भी यही चर्चा है. जॉर्जिया मेलोनी की सरकार में शामिल पार्टियां इसके पक्ष में नजर आ रही हैं. वहां साल 1958 के मर्लिन लॉ के तहत ब्रॉथल पर बैन लगा हुआ है.

पचास के दशक तक इटली में सरकारी लाइसेंस वाले ब्रॉथल होते थे. इनमें हजारों महिलाएं काम करती थीं, लेकिन इनके अंदर शोषण, तस्करी और हिंसा की शिकायतें लगातार तेज हो रही थीं. इन्हें बंद करने की मांग होने लगी और मर्लिन लॉ के तहत ब्रॉथल्स बंद करा दिए गए. हालांकि सेक्स वर्क को अपराध नहीं बनाया गया. यानी इस काम पर सेक्स वर्कर को सजा नहीं मिलती थी, लेकिन ब्रॉथल चलाना, कमरे किराए पर देना या किसी की कमाई पर कंट्रोल रखना अवैध हो गया.
उधर बेल्जियम ने तीन साल पहले सेक्स वर्क को पूरी तरह डी-क्रिमिनलाइज कर दिया, यानी न सेक्स वर्कर अपराधी हैं, न ही उनके ग्राहक. अब बेल्जियम सेक्स वर्कर्स को लेबर प्रोटेक्शन भी देने लगा है. इसमें उन्हें भी बाकी कर्मचारियों की तरह सोशल इंश्योरेंस मिलेगा, पेड़ सिक लीव होगी और मैटरनिटी लीव भी दी जाएगी. अगर किसी वजह से काम रुका रहे तो बेरोजगारी भत्ता और रिटायरमेंट में पेंशन भी मिलेगी.
यूरोप के बाकी देशों में सेक्स वर्क की स्थिति अलग-अलग है
- जर्मनी में सेक्स वर्क पूरी तरह कानूनी है. यहां लोगों को लेबर राइट भी मिलते हैं.
- नीदरलैंड और स्विट्जरलैंड में यह काम रेगुलेटेड है, जिसपर सरकार की नजर रहती है.
- नॉर्वे, स्वीडन और आइसलैंड में सेक्स वर्कर पर प्रतिबंध नहीं, लेकिन ग्राहक को सजा मिलती है.
- स्पेन में सेक्स वर्क कानूनी तो है लेकिन अलग-अलग स्टेट्स में अलग स्थिति है.
- पोलैंड और हंगरी में इसपर कड़ाई की हुई है.