scorecardresearch
 

कभी गरीबी के चलते हो रहा था माइग्रेशन, आज यहां बसने की होड़, आखिर लक्जमबर्ग ने कैसे पलटा गेम?

साल खत्म होने से पहले उन देशों की लिस्ट आ चुकी, जहां जीवन की गुणवत्ता का स्तर सबसे अच्छा है, साथ ही वे जगहें भी दिखेंगी, जो रहने के लिहाज से असुरक्षित हैं. यह रिपोर्ट वर्ल्ड ऑफ स्टैटिक्स ने एक्स पर डाली है. राजनीतिक अस्थिरता और गरीबी की वजह से अफगानिस्तान में लाइफ क्वालिटी बदतर है. वहीं यूरोपीय देश लक्जमबर्ग हर लिहाज से टॉप पर है. 

Advertisement
X
यूरोप के सबसे छोटे देशों में से एक लक्जमबर्ग दुनिया के सबसे अमीर देशों में भी शुमार है. (Photo- Unsplash)
यूरोप के सबसे छोटे देशों में से एक लक्जमबर्ग दुनिया के सबसे अमीर देशों में भी शुमार है. (Photo- Unsplash)

लक्जमबर्ग किसी वक्त पर यूरोप के सबसे गरीब देशों में था. यहां स्थिति इतनी खराब थी कि लोग दूसरे देशों की तरफ जा रहे थे. आबादी बेहद तेजी से घटने लगी. फिर कुछ ऐसा हुआ कि मुल्क बदलने लगा. हाल में  वर्ल्ड ऑफ स्टैटिक्स ने साल 2025 में ऐसे देशों की लिस्ट डाली, जहां जीवन की गुणवत्ता हर मायने में बेहतर है. सूची में लक्जमबर्ग सबसे ऊपर है. इसे सुरक्षा, सेहत और पैसे खर्चने के मामले में भी सबसे अच्छा माना गया. 

वर्ल्ड ऑफ स्टैटिक्स ने नंबियो, जो कि ग्लोबल क्राउड-सोर्स्ड डेटाबेस है, उसके हवाले से रिपोर्ट दी. इस डेटाबेस में दुनिया भर के लोग अपने शहरों और देशों से जुड़े असल अनुभव का डेटा डालते हैं. मतलब ये सरकारी डेटा नहीं कि किसी तरह के भेदभाव का शक आ सके, बल्कि लोग खुद अपनी बात बता रहे हैं, जो कि ज्यादा भरोसेमंद है. इसे ही जोड़कर तय किया गया कि किस देश में लोग ज्यादा संतुष्ट हैं. बड़े-बड़े देशों को पीछे छोड़ते हुए लक्जमबर्ग इसमें शीर्ष पर है. 

यहां लोगों की कमाने और खर्च करने की क्षमता काफी बढ़िया है. साथ ही सेहत पर भी यहां सरकार भरपूर खर्च करती है. रहने के लिए भी घर उतने महंगे नहीं, जितने बाकी देशों में है. साथ ही यहां सुरक्षा को भी सौ में से लगभग 70 मार्क्स मिले, जिसे ठोस कह सकते हैं. सबसे दिलचस्प है, यहां मौसम को लेकर लोगों का संतोष. इसे सबसे ज्यादा 82.6 नंबर दिए गए. यहां का खुशनुमा मौसम लोगों को खासकर पसंद आता है, जिससे लोग किसी और देश में नहीं जाना चाहते.

Advertisement
Luxembourg high life quality (Photo- Unsplash)
बेल्जियम, फ्रांस और जर्मनी से घिरा देश किसी वक्त पर युद्ध का मैदान बना हुआ था. (Photo- Unsplash)

लक्जमबर्ग हमेशा से ये नहीं था. शुरुआत में यह एक छोटा-सा किला था, जिसमें छोटी-मोटी आबादी रहती थी. मध्ययुग में यह एक ड्यूक के अधीन आ गया. इसकी लोकेशन ऐसी थी कि जर्मनी, फ्रांस और बेल्जियम तीनों देश इस पर नजर रखते थे. काफी वक्त तक यहां तीनों ही प्रॉक्सी वॉर करते रहे. बार बार राज बदलता, हुकूमत बदलती, लेकिन गरीब वहीं के वहीं थे. 

19वीं सदी आते-आते हालात और खराब हो गए. देश की अर्थव्यवस्था लगभग पूरी तरह खेती पर टिकी थी, लेकिन जमीन सीमित थी. जैसे-जैसे आबादी बढ़ी, जमीन पर दबाव बढ़ता गया और लोगों के पास आय के साधन घटते चले गए. औद्योगिक विकास लगभग न के बराबर था, इसलिए लोगों के पास खेत और छोटी-मोटी दिहाड़ी के अलावा कोई विकल्प नहीं था. इसी दौर में कई बार भयंकर सूखा भी पड़ा. 

तब ये देश नीदरलैंड, बेल्जियम और जर्मनी के बीच बंटा हुआ था और खींचतान के फेर में कोई भी पूरी जिम्मेदारी नहीं ले रहा था. यही देखते हुए हजारों लक्जमबर्गी परिवारों ने अपने घर छोड़ने का फैसला किया. बहुत से लोग अमेरिका की ओर निकल पड़े, जहां उस समय नए अवसर और जमीन की उम्मीद थी. वहीं बाकी फ्रांस और बेल्जियम जैसे पड़ोसी देशों में जाकर बसने लगे. वहां औद्योगिक विकास शुरू हो चुका था और कारखानों में काम के लिए मजदूरों की जरूरत थी. 

Advertisement
Luxembourg life quality (Photo- Unsplash)
इनवेस्टमेंट के लिहाज से लक्जमबर्ग सबसे भरोसेमंद देशों में गिना जाता है. (Photo- Unsplash)

लक्जमबर्ग तब यूरोप के सबसे गरीब और परेशानहाल देशों में गिना जाने लगा. पलायन इतना ज्यादा हुआ कि देश करीब-करीब खाली होने लगा. बीसवीं सदी की शुरुआत से इसमें बदलाव दिखा. देश में लोहे और स्टील के बड़े भंडारों का पता लगा. इसे निकालने और इस्तेमाल के लिए इंडस्ट्रीज लगीं. लोगों को काम मिलने लगा. 1950 के दशक में विकास और तेज हुआ. मॉडर्न तकनीकें आ चुकी थीं. युद्ध बीत चुके थे. 

लेकिन असल बदलाव अस्सी के बाद शुरू हुआ, जब देश ने फाइनेंशियल हब बनने का फैसला लिया. यानी यह खुद को दुनिया का एक बड़ा बैंकिंग और निवेश केंद्र बना रहा था. छोटे-से देश ने ऐसे कानून बनाए कि यहां इनवेस्टमेंट आसान लगे और लोग यहां अपने पैसों को सुरक्षित मान सकें. जल्द ही दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां और बैंक लक्जमबर्ग आने लगे. नौकरियां पैदा हुईं और लोगों की आमदनी बढ़ने लगी. 

किसी समय लक्जमबर्ग में भारी पलायन हो रहा था, लेकिन अब सीन बिल्कुल बदल चुका. साल 2023-24 के आंकड़ों के अनुसार, देश की कुल आबादी का करीब 48 प्रतिशत हिस्सा विदेशी नागरिकों का है. मतलब लगभग हर दो में से एक व्यक्ति किसी दूसरे देश का है. यूरोपीय देशों के अलावा यहां अमेरिका से भी लोग आने और बसने लगे हैं. 

Advertisement

यहां सबसे ज्यादा रेटिंग मौसम को दी गई. वसंत का मौसम बहुत ही सुहावना होता है. मार्च से मई तक देश में पेड़ और फूल खिल उठते हैं. हर जगह हरा-भरा और ताजगीभरा माहौल होता है. टेंपरेचर आमतौर पर 10 से 20 डिग्री सेल्सियस रहता है. लोग लंच के दौरान पार्क्स में समय बिताते हैं. गर्मी का मौसम जुलाई और अगस्त में आता है, लेकिन तब भी टेंपरेचर 25 डिग्री से ऊपर नहीं जाता. सितंबर से नवंबर तक पतझड़ को यहां सबसे अच्छा रंग माना जाता है, जब स्थानीय लोगों के अलावा बाहरी लोग भी घूमने आते हैं.

यही सब मिलाकर, लक्जमबर्ग को मौसम के मामले में बाकी यूरोप से बेहतर देश बनाते हैं, जिससे वो क्लाइमेट स्कोर में भी ऊपर रहा. 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement