सबसे ताकतवर मुल्क होकर भी अमेरिका छुटपुट देशों को डराता-धमकाता रहा. उसका कहना है कि दुनिया के तमाम देश किसी न किसी तरह से उसकी कुर्सी हिलाना चाहते हैं. फिलहाल वो वेनेजुएला पर हमलावर है. यूएस फोर्स लगातार वेनेजुएला की समुद्री सीमा पर आक्रमण करते हुए नावों को डुबा रही हैं. अमेरिका का कहना है कि इन बोट्स के जरिए ड्रग तस्करी होती है. हालांकि अब तक नशे की कोई खेप सार्वजनिक नहीं की गई.
यहां दो खेमे हो चुके. आलोचकों का कहना है कि नशे की आड़ में ट्रंप कोई और हित साध रहे हैं, जैसे वेनेजुएला में अपनी पसंद की सरकार लाकर वहां के मिनरल्स में हिस्साबांट करना. वहीं ट्रंप समर्थकों का कहना है कि अमेरिकी युवा ड्रग ओवरडोज के चलते खत्म हो रहे हैं. ऐसे में वेनेजुएला ही क्यों, उन तमाम देशों पर कार्रवाई होगी, जो उनकी सीमा तक नशा भेज रहे हैं.
यहां कई सवाल आते हैं
- क्या अमेरिका में वाकई ड्रग ओवरडोज से मौतें आम हो चुकीं.
- क्या इस देश में नशे की सबसे ज्यादा सप्लाई होती है.
- कौन से देश कथित तौर पर ड्रग सप्लायर बने हुए हैं.
- क्या वाकई ये नार्कोटेररिज्म है, जिससे यूएस कमजोर पड़ जाए.
कितना गंभीर है यूएस पर खतरा
अमेरिका में ड्रग ओवरडोज से होने वाली मौतें पहले से कहीं ज्यादा हो चुकीं, जबकि ये देश इस मामले में पहले ही कुख्यात रहा. पिछले कुछ सालों से हर साल लगभग एक लाख लोग ड्रग ओवरडोज खत्म हो रहे हैं. सिंथेटिक ड्रग्स से सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं. यह कहना खुद यूएस सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का है. गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि रोड हादसों से भी ज्यादा मौतें नशे की वजह से हो रही हैं. छोटे छोटे शहरों और कस्बों तक नशा पसर चुका.

अमेरिका दुनिया में ड्रग्स के सबसे बड़ा बाजारों में से एक है, हालांकि ये डेटा नहीं मिलता कि वहां ही सबसे ज्यादा नशा पहुंच रहा है. लेकिन यह भी सच है कि कोकीन, फेंटानिल, अफीम और मेथ की खपत यहां बाकी पश्चिमी देशों से कहीं ज्यादा रही. इसकी वजह ये भी है कि यहां आबादी ज्यादा है और लोगों के पास खरीदी की ताकत भी है. ऐसे में ट्रैफिकर्स अपनी सप्लाई रूस, लैटिन अमेरिका और एशिया से अमेरिका की तरफ भेजते हैं.
लगभग 50 मिलियन से ऊपर वयस्क अमेरिकी आबादी ने ड्रग का इस्तेमाल किया या इसमें रेगुलर रहे. किशोरों की संख्या इससे कुछ ही कम रही. ये डेटा यूएस एजेंसियों की स्टडी पर आधारित है. हर साल के बाद कन्ज्यूमर और ओवरडोज से मौतें बढ़ रही हैं.
क्या वाकई है नार्कोटेररिज्म
अमेरिका में नशा नया खतरा नहीं. लगभग 50 साल से भी पहले साल 1971 में अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने ड्रग को देश का सबसे बड़ा दुश्मन कहा था. इसी के साथ वहां वॉर ऑन ड्रग्स की शुरुआत हुई. सरकार ने वादा किया कि ड्रग तस्करी करने वाले नेटवर्क तोड़े जाएंगे और माहौल बिल्कुल सुरक्षित हो जाएगा. अब ट्रंप इस युद्ध को आगे ले जा रहे हैं.
वे इसे नार्कोटेररिज्म कह रहे हैं, यानी आतंक का मिलाजुला रूप जिसमें नशा भी एक किस्म का हथियार बन जाता है. यह बात अमेरिकी सरकार ने कई बार कही है, खासकर जब मेक्सिको, कोलंबिया या वेनेजुएला के ड्रग कार्टेल्स की बात आती है.

इन तीनों ही देशों से यूएस के रिश्ते उलझे हुए हैं. वेनेजुएला कट्टर दुश्मन है, जिसपर यूएस ने युद्ध छेड़ा हुआ है. मेक्सिको भले ही उसका व्यापारिक साझेदार रहा लेकिन अब ड्रग्स और माइग्रेशन को लेकर दोनों देशों में लगातार तनाव बना हुआ है. कोलंबिया लंबे समय से अमेरिका का सबसे भरोसेमंद साथी रहा लेकिन साल के सालों में कोलंबिया के साथ उसका राजनीतिक मतभेद दिखने लगा.
चूंकि यूएस एक बड़ा बाजार है, लिहाजा ट्रैफिकिंग उसकी तरफ हो रही है लेकिन नार्कोटेररिज्म जैसी संभावना कम लगती है, कि देशों ने जान-बूझकर उसके खिलाफ ये खेल रचा हो.
अमेरिका में नशा कहां से आता है
- अमेरिका में मिलने वाले ज्यादातर अवैध ड्रग्स मेक्सिकन ड्रग कार्टेल सप्लाई करते हैं. वे सीधे अमेरिका की दक्षिणी सीमा से अंदर आते हैं.
- कोलंबिया दुनिया का सबसे बड़ा कोकीन उत्पादक देश रहा. ये कैरिबियन से होकर दक्षिण-पूर्वी राज्यों तक आती है.
- अफगानिस्तान में अफीम की खेती होती है, जो यूरोप से होती हुई यूएस पहुंचती है.
वेनेजुएला अमेरिका में ड्रग्स का सबसे बड़ा सप्लायर नहीं. वो मेक्सिको और कोलंबिया के मुकाबले काफी पीछे है. वेनेजुएला की निकोलस मादुरो सरकार पर ट्रंप आरोप लगाते रही कि वे ड्रग तस्करों को पालते-पोसते हैं लेकिन सच तो यही है कि यहां से बड़े पैमाने पर अमेरिका के लिए सप्लाई नहीं होती.
फिर वेनेजुएला ही ट्रंप सरकार का टारगेट क्यों
इसकी एक वजह मिनरल्स को बताया जा रहा है. खनिज अब जियोपॉलिटिकल करेंसी बन चुके. वेनेजुएला में खनिज भंडार की कीमत लगभग 1.36 ट्रिलियन डॉलर बताई जाती है, जैसा कि राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने कहा. यह खनिज दुनिया की ताकत को नए सिरे से रच सकता है. मादुरो आरोप लगा रहे हैं कि इसी वजह से ट्रंप सरकार उन्हें घेर रही है ताकि अपनी पसंद की सरकार ला सके और खनिज भंडार पर कब्जा कर सके.