ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में बोंडी बीच पर हुए आतंकी हमले में 15 मौतों की पुष्टि हो चुकी. हमलावरों के बारे में पहला कयास ये है कि वे पाकिस्तानी मूल के थे. इस बीच यह भी कहा जा रहा है कि हमला एकदम ही अचानक नहीं हुआ, बल्कि इसके संकेत पहले से मिल रहे थे. सिडनी में यहूदी बेकरियों के सामने लाल रंग का उल्टा त्रिभुज बना दिया गया था, जो यहूदी विरोध का प्रतीक है. इस चरमपंथी चिन्ह की जड़ें हिटलर-शासित जर्मनी तक जाती हैं.
चल पड़ी यहूदी विरोध की सुनामी
दो साल पहले अक्तूबर में आतंकी दल हमास ने इजरायली सीमा पर गोलीबारी करते हुए हजारों यहूदियों की जान ले ली और लगभग ढाई सौ लोगों को बंधक बना लिया. इससे गुस्साए तेल अवीव ने आनन-फानन गाजा पट्टी पर हमला कर दिया. गाजा वही इलाका है, जहां से हमास ऑपरेट करता है. युद्ध चलता रहा. हाल ही में अमेरिका की मध्यस्थता से सीजफायर हुआ है. इजरायल ने तो अपने लोगों को छुड़ाने के लिए हमास पर अटैक किया, लेकिन इस बीच दुनिया के तमाम देश उसके खिलाफ बोलने लगे. ये जंग मुस्लिम बनाम यहूदी नहीं रही, बल्कि पश्चिम देशों में रहती मुस्लिम आबादी भी यहूदियों पर आक्रामक होने लगी.
इसी आक्रामकता का ताजा उदाहरण है, सिडनी में हुआ आतंकी अटैक, जिसमें हमलावरों ने लगभग 15 जानें ले लीं. त्योहार का जश्न मना रहे यहूदियों पर ये खुला हमला था, लेकिन पहले से ही ऑस्ट्रेलियाई शहर में यहूदी विरोध के संकेत मिलने लगे थे. सिडनी के पूर्वी हिस्से, जहां यहूदी आबादी ज्यादा है, वहां दीवारों पर धर्म विरोधी बातें दिखने लगीं. यहूदी प्रॉपर्टीज पर आगजनी हुई. यहां तक कि उनके धार्मिक स्थलों पर भी बम फेंका गया. यूनिवर्सिटीज में भी यहूदी स्टूडेंट्स पर हिंसा होने लगी.

लेकिन इस सब की शुरुआत हुई थी एक यहूदी बेकरी के सामने लाल रंग के त्रिकोण से. गाजा हमले के कुछ ही दिनों बाद किसी ने स्प्रे से ये पेंटिंग बना दी थी. यही पहला संकेत था. हमास की मिलिट्री विंग ने भी कई बार ये संकेत बनाया था. वो इजरायली टैंकों को मारने से पहले भी उनपर ये निशान बनाती थी. फिलिस्तीन के झंडे में भी एक आड़ा त्रिभुज दिखता है.
क्या है नाजी दौर से संबंध
लाल रंग का उल्टा त्रिभुज सबसे पहले नाजी जर्मनी ने एक प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया था. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नाजियों ने कंसन्ट्रेशन कैंपों में कैदियों की पहचान के लिए बैज सिस्ट्म शुरू किया था. इसके तहत लाल उल्टा त्रिभुज राजनीतिक कैदियों के लिए तय था. इसमें कम्युनिस्ट, समाजवादी, ट्रेड यूनियन के सदस्य और नाजियों के आलोचक शामिल थे.
ऐसे लोगों को लाल उल्टे त्रिभुज की पट्टी पहना दी जाती थी ताकि दूर से ही वे अलग पहचान में आएं. इसी आधार पर तय होता था कि उनके साथ कैसा व्यवहार होगा. लाल रंग को उन्होंने विद्रोह और सत्ता के लिए खतरे के प्रतीक की तरह देखा.
हिटलर का वक्त जाने के बाद जर्मनी ने नाजी राज से जुड़े कई प्रतीकों पर प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन लाल त्रिभुज पर ऐसा कोई एक्शन नहीं लिया गया. हालांकि हाल-हाल में बर्लिन स्टेट असेंबली ने ट्रायंगल पर भी बैन लगाने और अगर कोई इसका जान-बूझकर उपयोग करे तो उसे तीन साल की सजा देने की बात की है.

इसी प्रतीक को हमास ने हाईजैक कर लिया
हाल के सालों में खासकर साल 2023 के गाजा युद्ध के दौरान और उसके बाद ये ज्यादा ही दिखने लगा. हमास से जुड़े टेलीग्राम चैनल, वीडियो और पोस्टरों में यह उल्टा लाल त्रिभुज दिखने लगा. यह इजरायली ठिकानों, सैन्य गाड़ियों या सैनिकों की पहचान के लिए भी बनाया जाने लगा ताकि उनपर हमला किया जा सके.
क्या हमास ने जान-बूझकर ये चिन्ह चुना ताकि यहूदियों को होलोकास्ट की याद दिला सके, इसका कोई सीधा प्रमाण नहीं दिखता. हमास ने आधिकारिक तौर पर ऐसी कोई बात नहीं की कि वो ज्यूइश हिंसा की याद दिलाने या उसे दोहराने के लिए ऐसा करता है. हालांकि ये कोई संयोग भी नहीं. हमास प्रतीकात्मक राजनीति भी करता रहा और अक्सर ऐसे संकेत चुनता है, जो भावनात्मक और ऐतिहासिक असर डालें.
हमास के लिए यह त्रिभुज एक टैक्टिकल और साइकोलॉजिकल प्रतीक बन गया. लाल रंग खून और प्रतिरोध को दिखाता है, जबकि उल्टा त्रिभुज टारगेट को बताता है. युद्ध के दौरान कई वीडियो में इसे ऊपर से नीचे की ओर इशारा करते हुए दिखाया गया, मानो यह बता रहा हो कि कौन हमले के दायरे में है.
कई और संकेत भी चरमपंथियों के लिए कॉमन
- ब्लैक सन भी नाजी दौर से जुड़ा हुआ है और अब वाइट सुप्रीमेसी के समर्थक इसका इस्तेमाल करते हैं.
- कुछ चरमपंथी समूह प्राचीन जर्मेनिक प्रतीकों को दोबारा अपना रहे हैं.
- काला झंडा भी कई गुटों में कॉमन दिखता रहा, जिसके बीच वे कुछ प्रतीक बनाते हैं.
- मुट्ठी वैसे तो रेजिस्टेंस का प्रतीक है, लेकिन चरमपंथी धड़े इसे हिंसक संघर्ष के संकेत में बदल देते हैं.