अगर आप चश्मेबद्दूर देखने जा रहे हैं तो एक बात याद रखें कि इसकी तुलना पुरानी फिल्म से कतई न करें. सई परांजपे की 1981 की चश्मेबद्दूर एक क्लासिक फिल्म है और उसका रीमेक बहुत मुश्किल है. इसीलिए डेविड धवन ने 1980 के दशक की कहानी को मौजूदा परिदृश्य में रखकर पिरोया है. बेशक फिल्म बहुत मजबूत नहीं है लेकिन इसे डेविड की समझदारी ही कहेंगे कि उन्होंने साजिद खान की तरह नहीं किया.