साल 1913, महीना अप्रैल और स्थान मुंबई का ओलंपिया थियेटर. 100 वर्ष पहले दादा साहब फाल्के ने जब अपनी फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’’ का प्रदर्शन किया तब शायद ही किसी को यकीन हो रहा था कि श्वेत श्याम पर्दे पर अभिव्यक्ति के इस मूक प्रदर्शन के साथ भारत में स्वदेशी चलचित्र निर्माण का सूत्रपात हो चुका है.