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नवरात्र में इस बार पानी पीकर 9 दिन व्रत रखेंगी उर्वशी ढोलकिया, बताया कैसे हैं तैयारियां

टीवी परदे पर अक्सर वैंप के किरदार में नजर आने वालीं उर्वशी ढोलकिया असल जिंदगी में बेहद ही स्पीरिचुअल और दिलखुश मिजाज की हैं. 

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उर्वशी ढोलकिया
उर्वशी ढोलकिया
स्टोरी हाइलाइट्स
  • उर्वशी साल में दो बार रखती हैं फास्टिंग
  • इस साल पानी पीकर रहेंगी उपवास
  • शेयर कर रहीं डांडिया से जुड़ीं यादें

टीवी परदे पर अक्सर वैंप के किरदार में नजर आने वालीं उर्वशी ढोलकिया असल जिंदगी में बेहद ही स्पीरिचुअल और दिलखुश मिजाज की हैं. हमेशा से गॉड फेयरिंग रहीं उर्वशी मानती है कि कुछ तो पावर है, जो इस पूरे संसार को चला रही है. यही वजह है बचपन से रही पूजा-पाठ में उनका खूब मन लगता था.

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बीस दिन पहले ही डेंगू से उठी हूं 

इस साल की तैयारी पर उर्वशी ने बताया, इस साल मैंने केवल पानी पर उपवास रखा है. हालांकि मेरे बेटे और मां नहीं चाहते हैं कि मैं ऐसा कोई रिस्क लूं, लेकिन मेरी श्रद्धा के आगे उन्होंने कुछ नहीं कहा. दरअसल आज से बीस दिन पहले ही मैं डेंग्यू से ठीक होकर निकली हूं. मेरे हेल्थ को लेकर चिंतित बच्चे नहीं चाहते थे कि मैं इस कदर खुद को परेशान करूं. 

सुबह से लग गए थे तैयारी में 

इस साल नवरात्र की तैयारी पर उर्वशी कहती हैं, पितृपक्ष की वजह से हमें ज्यादा वक्त नहीं मिल पाया, तो तैयारी नवरात्र की सुबह-सुबह ही हुई है. हम सभी 5 बजे से उठकर माता की चौकी और मंदिर सजाने में लग गए थे. पूरी घर की साफ-सफाई और लोगों के लिए प्रसाद बनाने के बाद अब जाकर फुर्सत मिली है. घर के पूरे मेंबर नवंरग ड्रेस कोड को फॉलो करने वाले हैं. पहले दिन सभी ने पीला रंग पहना था. 

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साल में दो बार रखती हूं उपवास 

नवरात्र की यादों को ताजा करते हुए उर्वशी बताती हैं, वैसे तो सभी फेस्टिवल मेरे दिल के बेहद करीब हैं. नवरात्र के वक्त की बात ही कुछ और होती है. खासकर मुंबई में जब आप पले-बढ़े हो, तो यहां आपको हर तरह की पूजा दिख जाएगी. मैं आज से 25 साल पहले की बात कर रही हूं. उस वक्त हम सभी सहेलियां, पूरे मुंबई में गरबा का आनंद उठाया करती थीं. हमारेे यहां तो साल में दो बार नवरात्र सेलिब्रेट किया जाता है. मैं दोनों ही बार फास्टिंग रखती हूं. 

सुबह पांच बजे तक करते थे डांडिया

उर्वशी आगे कहती हैं, डांडिया नाइट्स में उनके पासेस व टिकट की होड़ सी लगी होती थी. अगर हमने फाल्गुनी पाठक का इवेंट अटेंड कर लिया, तो हमसे ज्यादा लकी कोई नहीं हो सकता था. नवरात्र के वक्त तो उनके टिकट हाथो-हाथ बिक जाते थे. उस वक्त तो हम सुबह पांच बजे तक डांडिया किया करते थे. पूरे नौ दिन के लिए चनिया-चोली और उससे मैचिंग जूलरी आदि को लेकर हमारा उत्साह एक अलग ही लेवल पर होता था. 

मैंने कभी खुद को कमजोर नहीं समझा 

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मां दुर्गा को शक्ति का प्रतीक कहा जाता है, आपको अपनी शक्ति का कब एहसास हुआ. इस जवाब में उर्वशी कहती हैं, मैं बचपन से ही शक्तिशाली रही हूं. मैंने कभी भी खुद कमजोर समझा ही नहीं और इसका क्रेडिट मेरी मां को जाता है. आज जो भी हूं उन्हीं से सीखा है. मेरी मां भी स्ट्रॉन्ग महिला रही है. इस नवरात्र में मैं यही प्रार्थना करूंगी कि महिलाएं अपनी शक्ति को पहचानें और खासकर एक दूसरे को आगे बढ़ाने में मदद करें. 

 

 

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