जब रक्षाबंधन का त्यौहार आता है तो हर तरफ राखी के लोकप्रिय गीत सुनाई देते हैं. इनमें सबसे ज्यादा जो गीत बजता है वह है "बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा है". यह गीत 'रेशम की डोरी' फिल्म का है. इसे मशहूर गीतकार शैलेंद्र ने लिखा था. उनका इससे एक खास नाता है.
शैलेंद्र का बचपन बेहद आर्थिक तंगी में बीता था. वे सात साल की उम्र में अपने बड़े भाई के साथ रहने रावलपिंडी से मथुरा आ गए थे. शैलेंद्र इलाज के लिए पैसा न होने के कारण अपनी इकलौती बहन को नहीं बचा सके थे. इसका उन्हें जिंदगीभर मलाल रहा. दुखी होकर उन्होंने देवी-देवताओं को सिर्फ पत्थर का टुकड़ा मानना शुरू कर दिया था. वे पहले भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे.

जब शैलेंद्र को डायरेक्टर आत्माराम ने बहन-भाई के रिश्ते पर गाना लिखने को कहा तो उन्होंने इसे पूरी शिद्दत से लिखा. ये गाना धर्मेंद्र पर फिल्माया गया है. शैलेंद्र ने अपने गीत के आखिरी अंतरे में लिखा है,
हमें दूर भले किस्मत कर दे
अपने मन से न जुदा करना
सावन के पावन दिन भईया
बहना को याद किया करना
बहना ने भाई की कलाई से...
अपनी बहन के निधन के बाद शैलेंद्र ने मुंबई जाने का फैसला किया, वहां उन्हें माटुंगा रेलवे के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में काम मिल गया. इसके साथ उन्होंने कविताएं व गीत लिखने भी शुरू किए. एक बार जब शैलेंद्र की कविता पृथ्वीराज कपूर ने सुनी तो वे उनसे काफी प्रभावित हुए. उन्हें फिल्मों में लाने का श्रेय पृथ्वीराज कपूर को ही जाता है.
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शैलेंद्र ने 800 से ज्यादा गाने लिखे हैं. वे राज कपूर के पसंदीदा गीतकार थे. शैलेंद्र ने हर तरह के गाने लिखे. उन्होंने आवारा हूं..., प्यार हुआ इकरार हुआ..., अजीब दास्तां है ये..., आज फिर जीने की... जैसे गीत लिखे हैं.