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इस फिल्म में दिखाई वैक्सीन बनाने की जद्दोजहद, पंकज कपूर-इरफान आए नजर

एक डॉक्टर की मौत वैक्सीन खोज के बहाने सिस्टम और मेडिकल सिस्टम में उस वक्त व्याप्त अफसरशाही पर कमेंट है. देश में ये हालात आज भी कमोबेश वैसे ही हैं. 1990 में आई फिल्म को नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने प्रोड्यूस किया था.

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पंकज कपूर
पंकज कपूर

कोरोना वायरस का दुनिया के पास अब तक कोई इलाज नहीं है. हर देश अपने स्तर पर दवा-वैक्सीन बनाने में लगा है. भारत में आर्युवेद के सहारे दवा बनाने का दावा किया जा रहा है. सरकार का आयुष मंत्रालय भी शोध में लगा हुआ है लेकिन कोई अभी तक नतीजे पर नहीं पहुंच सका है. शोध में नियम मानने, मंजूरी को लेकर लापरवाही जैसी खामियां, कम्युनिकेश गैप नजर आ रहा है. इस दौर में पंकज कपूर की एक फिल्म मौजूं हो जाती है जिसमें वे एक वैक्सीन पर शोध कर रहे होते हैं. फिल्म थी 'एक डॉक्टर की मौत', फिल्म को डायरेक्ट किया था तपन सिन्हा ने. फिल्म में भी वैक्सीन खोजने की जद्दोजहद होती है. फिल्म में पंकज के आलावा शबाना आजमी लीड रोल में हैं.

वैक्सीन खोजने पर मंथन और पीछे करने की दौड़

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एक डॉक्टर की मौत वैक्सीन खोज के बहाने सिस्टम और मेडिकल सिस्टम में उस वक्त व्याप्त अफसरशाही पर कमेंट है. देश में ये हालात भी कुछ हद तक फिल्म में दिखाए हालात जैसे ही हैं. 1990 में आई फिल्म को नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने प्रोड्यूस किया था.

अगर फिल्म की कहानी की बात करें तो फिल्म में पंकज कपूर एक सरकारी डॉक्टर बने हैं. वे अपने घर पर ही लेप्रसी का वैक्सीन खोजने के लिए लैब बनाते हैं. वे दिन रात मेहनत करते हुए वैक्सीन बनाने के लिए चूहों-बंदर पर शोध करते हैं. घर में उनकी मेहनत और रात दिन काम में जुटे रहने के कारण कई मौकों पर पारिवारिक जीवन में दिक्कत भी आती है. फिर भी वे वैक्सीन खोजने में लगे रहते हैं.

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सिस्टम से हार जाता है डॉक्टर

हालांकि, इस काम में सिस्टम उनका साथ नहीं देता. एक बार वे जब दावा करते हैं कि उन्हें वैक्सीन मिल गई है और वे जल्द ही पेपर लिखकर सबमिट कर देंगे तो बाहर के डॉक्टर्स और सिस्टम उन्हें शहर से निकाल फेंकता है. उनका तबादला दूर के एक गांव में हो जाता है जहां वे बड़ी मुश्किल से वैक्सीन के बारे में सोचते रहते हैं. विदेश के डॉक्टर-प्रतिनिधि आकर उनसे मुलाकात करते हैं लेकिन वे पेपर लिख नहीं पाते.

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पेपर नहीं लिख पाते हैं पंकज

पेपर नहीं लिख पाने के कारण वे अपने शोध को अंतिम रूप नहीं दे पाते. इस बीच विदेश में इसी बीमारी पर और कई लोग काम कर रहे होते हैं वे वैक्सीन बना लेते हैं. विदेशी संगठन से जब लेटर आता है तो उसमें जिक्र होता है कि पेपर सबमिट ना होने के कारण पंकज कपूर के शोध को मान्यता नहीं मिली.

इस फिल्म में पंकज कपूर के अलावा इरफान खान ने भी शानदार एक्टिंग की थी. इरफान कि ये शुरुआती फिल्म थी. फिल्म में इरफान खान एक जर्नलिस्ट की भूमिका में होते हैं जो पकंज कपूर के शोध के बारे में अखबारों में लेख प्रकाशित करते हैं.

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