नसीरुद्दीन शाह को बॉलीवुड के सबसे बेहतरीन अभिनेताओं में शुमार किया जाता है लेकिन ये विडंबना ही है कि उन्हें बचपन में बॉलीवुड फिल्में नहीं देखने दिया जाता था. शाह ने इंडिया टुडे के साथ खास बातचीत में बताया था कि कैसे वे बचपन में फिल्में देखने के लिए अजीबोगरीब बहानों का इस्तेमाल करते थे.
शाह ने कहा कि 'मेरे पिता एंग्लोफाइल थे यानि वे ब्रिटेन और ब्रिटिश कल्चर को काफी पसंद करते थे तो मुझे रविवार को इंग्लिश फिल्में देखने की इजाजत मिलती थी लेकिन कभी हिंदी फिल्में नहीं देखने दी जाती थी. हालांकि मुझे दारा सिंह की फिल्में बेहद पसंद आती थी और मुझे उन्हें देखने का काफी मन करता था. यही वजह है कि मैं अपने आपको ऐसे तैयार कर लेता था जैसे मैं क्रिकेट मैच देखने जा रहा हूं.'
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मेरे पिता मन ही मन पसंद करते थे दिलीप कुमार की फिल्में: नसीरुद्दीन
नसीरुद्दीन ने आगे कहा कि 'मैं ऊपर से नीचे तक व्हाइट क्रिकेट ड्रेस में होता था. मेरे पास सिर्फ क्रिकेट पैड्स और ग्लव्ज नहीं होते थे और मैं साइकिल उठाकर थियेटर्स पहुंच जाया करता था. तो मुझे देखकर कोई शक नहीं कर पाता था कि मैं थियेटर जा रहा हूं लेकिन मेरे पिता दिलीप कुमार की फिल्मों को लेकर कुछ नहीं कहते थे. मुझे लगता है कि वे कहीं ना कहीं दिलीप कुमार को मन ही मन पसंद करते थे. मुझे भी उस दौर में दिलीप कुमार और दारा सिंह काफी पसंद थे.'
उन्होंने आगे कहा कि 'मुझे दिलीप कुमार की फिल्म गंगा जमुना बहुत पसंद आई थी. उस समय मैं आठवीं या नौवीं क्लास में था और मैं उनकी परफॉर्मेंस देखकर चकित रह गया था. इसके अलावा भी मैंने उनकी कुछ फिल्में अपने बचपन के दौर में देखी थी क्योंकि हमें उनकी ही हिंदी फिल्में देखने का मौका मिलता था. मुझे लगता था कि उनकी परफॉर्मेंस शानदार हो जाती थी जब भी वे किसी बेहतरीन डायरेक्टर के साथ काम करते थे. मैं ये भी मानता हूं कि उनकी बेस्ट परफॉर्मेंस मुगल-ए-आजम में थी लेकिन जब मैंने बचपन में ये फिल्म देखी थी तो मैं बोर हुआ था लेकिन बाद में मुझे उनके काम की गहराई का एहसास हुआ था.'