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शहंशाह-ए-गजल मेहदी हसन की 5 गजलें, जो इस लॉकडाउन में रहमत-ए-सुकूं से कम नहीं

मेहदी हसन पाकिस्तानी गजल गायक थे मगर भारत समेत विश्वभर में उन्हें भरपूर प्यार मिला. उन्होंने गजल गायकी में एक नई जान फूंकी और जगजीत सिंह, हरिहरण और सोनू निगम जैसे गायकों को खासा प्रभावित किया.

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मेहदी हसन
मेहदी हसन

संगीत की दुनिया में गजल गायकी का अपना अलग ही एक अंदाज रहा है. जब गजल की महफिलें लगती हैं तो उसका एक अलग ही जादू देखने को मिलता है. महान शायरों के कलामों को जब धुन मिलती है और उन धुनों को एक रुहानी आवाज, तो दिल में भी गजलों के लिए एक बेकरारी सी पैदा हो जाती है. और अगर वो आवाज अपने आप में ही मुकम्मल आवाज हो फिर तो बात ही कुछ और है. ऐसी ही एक मुकम्मल आवाज थी मेहदी हसन की.

मेहदी हसन पाकिस्तानी गजल गायक थे मगर भारत समेत विश्वभर में उन्हें भरपूर प्यार मिला. उन्होंने गजल गायकी में एक नई जान फूंकी और जगजीत सिंह, हरिहरण और सोनू निगम जैसे गायकों को खासा प्रभावित किया. पाकिस्तानी सिनेमा में उनका योगदान अस्मरणीय है. इसके अलावा उनकी गजलों के एल्बम आज भी ज्यादातर फैन्स के पास मिल जाएंगे. उनका जन्म 18 जुलाई, 1927 को लूना में हुआ था और 13 जून, 2012 को पाकिस्तान के कराची शहर में 84 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. उनकी पुण्यतिथि पर हसन साहब को याद करते हुए आइए सुनते हैं उनकी कुछ बेहद लोकप्रिय गजलें.

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1- रंजिश ही सही-

2- अबकी हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिलें-

3- बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसे तो ना थी-

4- मैं खयाल हूं किसी और का-

5- ये धुआं कहां से उठा-

मेहदी हसन अपने परिवार की 16वीं पीढ़ी थे जिन्होंने अपना जीवन मौसि‍की को नए आयाम देने में समर्पित कर दिया. सिंगर आज भी भारत और पाकिस्तान दोनों ही मुल्कों के लोगों के बीच काफी फेमस हैं. अपनी शानदार गायकी के लिए उन्हें शहंशाह-ए-गजल का तमगा दिया गया है.

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