हिंदी सिनेमा में 60 के दशक की बेहतरीन अभिनेत्रियों में से एक थीं माला सिन्हा. माला ने ब्लैक एंड व्हाइट स्क्रीन से लेकर कलरफुल पर्दे तक का शानदार सफर तय किया. उन्होंने किशोर कुमार, बलराज साहनी से लेकर धर्मेंद्र जैसे एक्टर्स के साथ कई हिट फिल्में दीं. लेकिन, फिल्मों की शूटिंग से पहले माला अपनी एक आदत को लेकर सेट पर मशहूर थीं. आइए जानें क्या है उनकी वो आदत.
माला सिन्हा को शूटिंग से पहले सेब खाने की आदत थी. बिना सेब खाए वे शूटिंग शुरू नहीं करती थीं. भले ही सुबह का शेड्यूल शाम में बदल जाए लेकिन जब तक उन्हें सेब नहीं दिया जाता था वे तैयार होने के बावजूद शूटिंग के लिए नहीं आती थीं. इस बात का जिक्र रामानंद सागर की बायोग्राफी में किया गया है.
सुबह की शिफ्ट शाम के 4 में बदल गई, लेकिन...
किताब के मुताबिक - 'फिल्म उद्योग में एक सुपरस्टार के साथ काम करने के लिए उनकी छोटी छोटी मांगों को पूरा किया जाना चाहिए और वो सौदे का हिस्सा होना चाहिए. माला सिन्हा अपने मेकअप रूम में हर दिन एक सेब चाहती थीं. शूट तब तक शुरू नहीं होता जब तक सेब उनके पास नहीं पहुंच जाता. कभी-कभी प्रोडक्शन वालों की समस्याओं के कारण सेब पहुंचाने में कुछ घंटों की देरी होती थी, लेकिन माला सेट पर दिखाई नहीं देती थीं. एक दिन, 'गीत' के सेट पर सुबह की शिफ्ट शाम के 4 में बदल गई. लेकिन वे अपने मेकअप रूम में ही तैयार होकर बैठी रहीं.'
आखिरकार रामानंद जी उनके पास गए तो उन्हें एहसास हुआ कि माला सिन्हा एक सेब का इंतजार कर रही हैं, जिसके लिए उन्होंने सुबह रिक्वेस्ट किया था. प्रोडक्शन इंचार्ज ने सेब ना लाकर सेब के महत्व को कम कर दिया था. माला सिन्हा, रामानंद सागर के साथ गीत और आंखें फिल्म में काम कर चुकी हैं. यही वजह है कि रामानंद सागर, माला के सेब खाने की आदत से वाकिफ थे.
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बता दें माला सिन्हा ने 1946 में जय वैष्णो देवी नाम की बंगाली फिल्म में चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में एक्टिंग डेब्यू किया था. 1954 में उन्होंने फिल्म हैमलेट से हिंदी सिनेमा में शुरुआत की थी. धीरे-धीरे उनके पास फिल्मों के ढेरों ऑफर्स आने लगे. उन्होंने इंडस्ट्री में 40 साल से अधिक समय दिया. हिमालय की गोद में और जहान आरा के लिए उन्हें अवॉर्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है.